सत्येंद्र मणि त्रिपाठी
बिहार देश का पहला राज्य है जहां कोरोनाकाल में ही विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के उपचुनाव भी कराए जाएंगे। राजनीतिक गलियारों में चुनावी तैयारियां जोर पकड़ रही हैं। बिहार में तो सघन चुनावी प्रचार का आरंभ हो गया है। पहले चरण के मतदान में अब कुछ ही दिन शेष हैं। चुनाव की घोषणा से पूर्व ही प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा की वर्चुअल रैली की। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गया से एक्चुअल रैली (जनसभा) कर, विधिवत चुनावी प्रचार का शुभारंभ कर दिया है। पार्टी की ओर से स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी गई है। भाजपा द्वारा ‘बिहार में ई बा’ विशेष कैंपेन लांच किया गयाहै। नेता मैदान में उतर पड़े हैं। ऐसे में जब कोरोना का संकट है ज़ाहिर है चुनाव पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। कोरोना के बीच चुनाव कराना स्वयं में चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए चुनाव आयोग ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया है। और तैयारी भी पूरी कर ली है। चुनाव आयोग द्वारा कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए व्यापक इंतजाम किया गया है। 47 लाख फेसमॉस्क, 6 लाख पीपीई किट, 23 लाख हैंड ग्लब्स और 6 लाख फेस शिल्ड भी आयोग ने उपलब्ध कराये हैं। वहीं हर मतदान केंद्र पर एक मेडिकल अफसर व एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई है। ये चुनाव, अगर इन दिशा-निर्देशों के अनुरूप हुए तो निश्चित रूप से मतदाताओं और राजनीतिक दलों के लिए यह बिल्कुल नया अनुभव साबित होगा। चुनाव आयोग ने महारैलियों के आयोजन को प्रतिबंधित किया है। ऐसे में वर्चुअल माध्यम से ही चुनाव प्रचार हो रहा है। वर्चुअल चुनावी अखाड़े में राजनीतिक दल जोर-आजमाइश करने को उतरे हैं। बिहार की प्रमुख दलों ने वर्चुअल माध्यम का प्रभावी उपयोग करने के लिए एडवांस इंफ्रास्टक्चर का सहारा लिया है। सभी राजनीतिक दलों के वॉर-रूम और आईटी सेल चुनाव की तैयारियों में लगे है। आज वर्चुअल संवाद को बढ़ावा मिल रहा है। इसके माध्यम से ही इस विषम परिस्थिति में लोकतंत्र के महापर्व को मनाने के लिए जनता और नेता दोनों तैयार हैं। चुनाव आयोग ने नामांकन से लेकर मतदान तक हर जगह सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करने को कहा गया है। बावजूद इसके अभी भी पारम्परिक तरीके से कई जगह पर चुनाव प्रचार हो रहा है। भाजपा द्वारा जहाँ ‘कमल कनेक्ट’ ऐप्प के जरिए मतदाताओं को जोड़ने का काम चल रहा है। वहीं जदयू ने जूम और गूगल मीट जैसे प्लेटफार्म के मुकाबले अपना खुद का प्लेटफार्म विकसित किया है। इसके सहारे अपने कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित किया जा सकता है। वहीं राजद जैसी परंपरागत माने जाने वाली पार्टी ने अपने कार्यालय में दस लाख कार्यकर्ताओं के साथ संवाद स्थापित करने के लिए आधारभूत सुविधाएं तैयार हैं। फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और ट्विटर के जरिए बिहार के नेता मतदाताओं से सीधा संवाद कर रहे हैं। बिहार में सबसे पहले वर्चुअल रैली के माध्यम ही बीजेपी चुनावी अभियान का आरंभ हुआ था। अब एनडीए गठबंधन में शामिल जदयू अपने वर्चुअल प्रचार को गति दे रही है। ऐसी संभावना है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जमुई से एक्चुअल रैली की शुरुआत करेंगे। बिहार में मतदान प्रतिशत अन्य राज्यों के मुकाबले कम रहता है। ऐसे विपरित माहौल में चुनाव आयोग के समक्ष बड़ी चुनौती रहेगी कि वह मतदाताओं को घरों से बाहर कैसे लाएगा और चुनावी प्रक्रिया को सुनिश्चित करा पाएगा। जैसे जैसे आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स व अन्य अत्याधुनिक तकनीकी बाज़ार में आ रही है चुनाव में भी नई संभावनाओं को बल मिल रहा है। आर्टिफिशियल इंटिलेन्स का उपयोग लोकतंत्र को और भी पारदर्शी व मज़बूत करने वाला होगा। तकनीकी आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था की जिस तेजी से बढ़ रही वहाँ हैलोग्राम, 3डी रैली एवं एआई व्यवस्था मौजूदा लोकतांत्रिक ढ़ांचे को सबल करेगी। पार्टियों और उनके कैंडिडेट्स की सामाजिक स्वीकार्यता भी बढ़ाएगी। बहरहाल, ये तो तय है कि आने वाले समय में चुनाव कराने की प्रक्रिया में भी परिवर्तन दिख सकता है। ऐसी विषम परिस्थितियो में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की माँग को भी बल मिलेगा ताकि आने वाले समय में ऐसी स्थिति पैदा होने पर चुनाव को कराया जा सके।