समाज पानी तो फ़िल्टर कर पीता है लेकिन खून नहीं
राजनीतिक रणनीतिकार अतुल मालिकराम
कैदियों के प्रति समाज का नज़रिया अपराधी या पीड़ित के बीच नहीं बंटा हुआ है। यह एक कटु सत्य है कि समाज के लिए एक कैदी सिर्फ अपराधी हो सकता है पीड़ित नहीं। यही सोच समाज पर भारी पड़ रही है और न केवल अपराध बल्कि अपराधियों को भी जन्म दे रही है।
भारतीय समाज में कैदियों…
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