एक नया जुर्म : नमाज़ पढ़ना
राजेंद्र शर्मा
कुंभ मेला जैसे बड़े पारंपरिक आयोजनों के लिए, जहां भी विशाल संख्या में लोग जुटते हैं, उनकी धार्मिक प्रकृति चाहे जैसी भी हो, तमाम व्यवस्था संबंधी इंतजामात करने और न्यूनतम सुविधाएं जुटाने की जिम्मेदारी से कोई भी शासन बच नहीं सकता है। बेशक, इस महाकुंभ के सिलसिले में भी इस पर तो बहस…
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