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Malik Saheb

मलिक साहब और घोड़े की टांगों के बीच में टोंटी

सुशील उपाध्याय मलिक साहब मुहल्ले के मालिक थे। ठसक के साथ रहते थे। ऐंठ कर चलते थे। पड़ोसियों पर रौब गालिब करने के लिए छत पर चढ़कर, अपने पिताजी की दी हुई एकनली बंदूक को साफ करते रहते थे। अक्सर नौकर को मां-बहन की गाली देकर बात करते थे। नेक्कर-बनियान पहनकर गली में घूमना उनका शौक था। इसी दौरान वे टांगों…
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