माचो राष्ट्रवाद!
अरुण माहेश्वरी
सीमा पर जब गोलियाँ चलती हैं, बंकर ध्वस्त होते हैं या कुछ सैनिक शहीद होते हैं, कुछ नागरिकों की भी जानें जाती है तो यह सब सीमा पर होने वाली झड़प कहलाते हैं। पर जब वही झड़प सामाजिक चेतना में एक जगह घेरने लगती है, मीडिया में राजनीति का ‘चक्रव्यूह’ रचने लगती है, और सत्ता के मंचों से…
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