आज यदि सुरजीत होते, तो तोते बहेलियों का दाना चुगने की बजाय उसके जाल सहित उड़ गए होते!
टिप्पणी : बादल सरोज
4 जून को देश ने जिन्हें सबसे ज्यादा मिस किया, वे कामरेड सुरजीत हैं। असाधारण जटिलताओं में से राह निकालकर देश के लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष अस्तित्व को बनाये रखने की जो ताकत, भेड़ियों को गाँव से दूर रखने के लिए सबको जगाकर एक साथ खड़ा करने की जो महारत सुरजीत बब्बा में थी, वह हमने…
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