महामानव जी, देश को थोड़ा तो बख्श दो!
(व्यंग्य : विष्णु नागर)
महामानव जी, देश की और हम-सब की, आपसे जितनी तरह से और भी जितनी बार ऐसी-तैसी हो सके, करना ; बस एक काम करना, 'विकसित भारत' बनाने का संकल्प तज देना। भारत को 'वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर' देना हमेशा के लिए भूल जाना।
मैं देश का दो कौड़ी का नागरिक, जिसने कभी आपको वोट…
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