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न नीट, न क्लीन, नियुक्ति भी मलिन!

बादल सरोज बुजुर्गवार कह गए हैं कि इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती, वे लालच से लालसा में परिवर्तित होते हुए हवस तक पहुँचने की सम्भावनाओं से भरी होती हैं। यह बात इन दिनों हर मामले में नुमायाँ होती नजर आ रही है। पेपर लीक में अक्खा दुनिया में विश्व गुरु बनने के बाद भी लालसा पूरी नहीं हुई, तो अब कुछ…
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लो जी, आपने यजमान भी न बनने दिया!

राजेंद्र शर्मा बेचारे भक्तों को कम से कम अब इस तरह के सवालों से छुट्टी मिल जानी चाहिए कि बेचारे सीता और राम को अलग क्यों कर दिया? न सियाराम रहने दिया, न सीताराम। जै-जै राम, सीताराम भी नहीं। राम अकेले-अकेले। न सीता साथ में, न लक्ष्मण और तो और हनुमान भी साथ में नहीं। हां, धनुष जरूर साथ में, वह…
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