रे दशानन तूने ये क्या किया!
राजेंद्र शर्मा ,व्यंग्य
आचार्य नरसिंहानंद समाचार पाने के लिए बहुत व्यग्र थे। पर उनके कान जिस खबर को सुनने के लिए तरस रहे थे, वह आकर ही नहीं दे रही थी। टीवी चैनलों से लेकर, सोशल मीडिया तक, सब खंगाले जा रहे थे। दोपहर से शाम हुई। शाम ढल गयी और झुटपुटा हो गया। बाकायदा अंधेरा घिर आया, पर खबर नहीं…
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