मोदी राज में मनु के शिकंजे में मानवाधिकार!
सुभाष गाताडे
पिछले एक दशक से जातिगत पदानुक्रम को वैध बनाने और जातिगत उत्पीड़न को पवित्र मानने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
यह वह दौर था, जब भारत आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा था। अनेक कार्यक्रम हो रहे थे। तब किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि कैसे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इन…
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