आओ चलो पप्पू हो जाएं
हम जिस पप्पू की बात कर रहे हैं, उसका मौलिक नाम लेने की भी जरूरत नहीं हैं, क्योंकि हमें पता है कि ये काॅलम पढ़ने वाले इतने गधे नहीं हो सकते। पप्पू नामकरण करने वाले, गधे-घोड़े या खच्चर हों, तो मुझे हैरानी भी नहीं होगी। देश का समयकाल बड़े उलट फेर वाला है। पप्पू ही सच्चा साबित हो रहा है...
वीरेंद्र सेंगर…
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