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आचार

मजे आचार संहिता के!

अब तो प्रचंड सरकार है। वही सरकार हुजूर है। वही संविधान है। क्योंकि ये चुनी हुई सरकार है। ये जुमला इस दौर में कुछ ऐसे उछाला जाता है, मानो पहले की सरकारें आसमान से टपक पड़ती थी। वे चुनी हुई नहीं होती थी? ये प्रहसन खुलेआम होता है। बार-बार दोहराया जाता है। हम मीडिया के बाबू! उफ् तक नहीं करते। जैसे…
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