सेना का रंगमंच और नाट्यकरण
सुशील उपाध्याय
मशीन (प्रौद्योगिकी) चाहे कितनी भी समर्थ और एडवांस क्यों न हो जाए, लेकिन भाषा के प्रयोग और व्यवहार के मामले में वह मनुष्य का स्थान नहीं ले सकती। भाषा प्रौद्योगिकी उसी स्तर तक अपनी सामर्थ्य का प्रदर्शन कर सकती है, जितनी सूचनाओं के आधार पर उसे तैयार किया गया है।
हाल के दिनों में दो…
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