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आलेख

समानांतर सिनेमा के अप्रतिम फ़िल्मकार : श्याम बेनेगल

जवरीमल्ल पारख समानांतर सिनेमा आंदोलन के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण फ़िल्मकार श्याम बेनेगल का 90 वर्ष की अवस्था में अभी 23 दिसम्बर 2024 को देहावसान हो गया। श्याम बेनेगल की पहली फ़ीचर फ़िल्म 'अंकुर' का प्रदर्शन 1974 में हुआ था और उनकी अंतिम फ़िल्म 'मुजीब : द मेकिंग ऑफ़ ए नेशन' का प्रदर्शन 2023 में हुआ।…
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हमारा संविधान, सुप्रीम कोर्ट और समाजवाद की परिभाषा

प्रभात पटनायक, अनुवाद : राजेंद्र शर्मा भारतीय संविधान की उद्देशिका से ‘‘समाजवाद’’ की संज्ञा को हटाने की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, 22 नवंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश ने दो महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। पहली तो यह कि संविधान की उद्देशिका में समाजवाद की संज्ञा का उपयोग किसी जड़ सिद्धांत के अर्थ…
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अडानी के बचाव में बीजेपी ने सारे घोड़े खोल दिए हैं

आलेख : रविंद्र पटवाल यह एक ऐसा मुद्दा बनता जा रहा है, जिस पर देश में एक ऐसी जंग छिड़ गई है, जिसका कोई ओर-छोर नजर नहीं आ रहा। भारतीय मीडिया और संसद के भीतर सरकार के रुख को देखकर तो सहसा यही यकीन होता है कि हिंडनबर्ग के खुलासे की तरह इस बार भी मोदी सरकार अडानी समूह को संकट से बाहर निकालने…
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नफरती उन्माद को अंधड़ में बदलने की बदहवासी

बादल सरोज देश में सीधे-सीधे फांक करना, जनता के समूहों के बीच अलगाव की खाई खोद कर उसे लगातार चौड़े से और अधिक चौड़ा करना, एक दूसरे के प्रति नफरती उन्माद को कटु से कटुतर, तीव्र से तीव्रतर और शाब्दिक हिंसा से सीधे हमलावर बनाया जाना हमारे समकाल की लाक्षणिक पहचान बनती जा रही है। वैसे यह फिनोमिना आज…
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व्यंग्य: गहरा न खोदियों कोय

राजेंद्र शर्मा  मोदी जी, योगी जी, भागवत जी, आदि जी लोग गलत नहीं कहते हैं। उनके राज के बाद भी हिंदुत्व की राह आसान नहीं है। हिंदुत्व की राह में खतरे ही खतरे हैं। बल्कि उनके राज में हिंदुत्व के लिए खतरे जितने हो गए हैं, पहले कभी भी नहीं थे। सब हिंदुत्व विरोधियों के षडयंत्रों के कारण है। उनके…
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कराहते बुन्देलखण्ड में उन्माद भड़काने की मुहिम

 बादल सरोज इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय तक बागेश्वर धाम के धामाधीश धीरेन्द्र शास्त्री की कथित यात्रा चलायमान है। कहने को इसे हिन्दू धर्म के प्रचार और हिन्दुओं के एकीकरण की धार्मिक उद्देश्यों वाली यात्रा बताया जा रहा है, मगर अपने सार और रूप, संदेश और उदघोष, हर मामले में यह धार्मिक को छोड़कर…
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संविधान की 75वीं वर्षगांठ और अंबेडकर की चेतावनी

आलेख : एस एन साहू 26 नवंबर को भारत के संविधान को अपनाने और लागू करने की 75वीं वर्षगांठ मनाते समय, बीआर अंबेडकर द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, ताकि संविधान को भारतीय समाज के लिए अधिक प्रासंगिक बनाया जा सके, जो लगातार सामाजिक और आर्थिक असमानताओं से ग्रस्त है। संविधान…
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पुचकारने से नहीं मानते भेड़िये

बादल सरोज 'देर आयद' की कहावत के पहले दो शब्दों को व्यवहार में उतारते हुए आखिरकार देश की सबसे बड़ी अदालत ने बुलडोजर अन्याय पर अपना फैसला दे दिया। 13 नवंबर को सुनाए अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका केवल इस आधार पर किसी व्यक्ति का घर नहीं गिरा सकती कि वह किसी अपराध में आरोपी या…
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सनातनी घूस, घूस न भवति!

राजेंद्र शर्मा, व्यंग्य कहां हैं, कहां हैं, कहां हैं, मोदी जी के 'एक रहोगे तो सेफ रहोगे' के सूत्र में बंटवारा खोजने वाले। अब तो महाराष्ट्र में जनता ने भी मोदी जी के सूत्र को फॉलो कर के दिखा दिया है। देखा नहीं कैसे सेफ रहने के लिए ही करीब-करीब सारी सीटें मोदी जी की पार्टी की झोली में डाल दी हैं।…
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संविधान दिवस: अगर देश आरएसएस के मुताबिक़ चलता रहा, तो हमारा संवैधानिक ढांचा क्या रहेगा?

आलेख : क़ुरबान अली भारतीय संविधान सभा द्वारा पारित किए गए संविधान को 74 वर्ष पूरे हो गए हैं और अगले वर्ष 26 जनवरी, 2025 को इसके 75 बरस पूरे हो जाएंगे। मैग्नाकार्टा या ‘ग्रेट चार्टर’ पर बिर्तानी सम्राट द्वारा किए गए हस्ताक्षर के 735 वर्ष बाद भारतीय संविधान मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाया…
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