सिक्किम में तैनात त्रिशक्ति कोर ने शुरू की ऑन-साइट 3D कंक्रीट प्रिंटिंग तकनीक

अब दुर्गम इलाकों में चंद घंटों में बन जाएंगे बंकर

सत्यनारायण मिश्र

गंगटोक (सिक्किम)।भारतीय थल सेना ने रक्षा क्षेत्र में एक और स्वदेशी क्रांति को अमली जामा पहनाया है। सिक्किम और उससे लगे फ्रंटियर इलाकों तैनात त्रिशक्ति कोर ने दुर्गम हिमालयी इलाकों में ऑन-साइट 3D कंक्रीट प्रिंटिंग तकनीक को पूरी तरह ऑपरेशनल कर दिया है।

सेना के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह तकनीक प्रोजेक्ट प्रबल के तहत आईआईटी, हैदराबाद के साथ मिलकर विकसित की गई है। अब इसे पूर्वी सेक्टर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात कर दिया गया है।

इसकी मुख्य विशेषताओं में इसका पूरी तरह से वाहन-चालित, रोबोटिक 3D प्रिंटर, रोबोटिक आर्म, सर्कुलर मिक्सर, पिस्टन पंप और जनरेटर से लैस, पहाड़ी इलाकों में तेजी से आवाजाही के लिए अनुकूलित, कुछ घंटों में बंकर, सेंट्री पोस्ट और सुरक्षात्मक संरचनाएं बनाने की क्षमता शामिल हैं। ये सब स्थानीय सामग्री के उपयोग और कम संसाधन में ज्यादा मजबूती के विशिष्ट गुण से युक्त हैं।

इन प्रिंटेड संरचनाओं पर लाइव बैलिस्टिक ट्रायल भी किए गए हैं, जिनमें ये संरचनाएं गोली, ब्लास्ट और शॉक वेव का पूरी तरह मुकाबला करने में सक्षम पाई गईं।

बेहतर विस्फोट-रोधी और बुलेट-प्रूफ क्षमता के अलावा पारंपरिक निर्माण से कई गुना तेज गति, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की क्षमता और उन्नत छद्मावरण की सुविधा होने से इसका अत्यधिक रणनीतिक महत्व है।

सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
“यह तकनीक युद्ध के समय या आपात स्थिति में सैनिकों को तुरंत मजबूत आश्रय उपलब्ध कराएगी। दुश्मन की नजर से बचाते हुए हम कुछ ही घंटों में पूरी डिफेंस लाइन मजबूत कर सकेंगे।”

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