अरुणाचल प्रदेश: NSCN-K उग्रवादी राजस्थान के ठेकेदार सहित दो को अगवा कर म्यांमार ले गये, छठे दिन भी सुरागहीन
सत्यनारायण मिश्र
तिराप (अरुणाचल प्रदेश)। पूर्वोत्तर के अशांत तिराप जिले में उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग (NSCN-K) के अंगामी गुट ने राजस्थान के एक प्रमुख ठेकेदार विजय शंकर अग्रवाल और स्थानीय पंचायती राज संस्था (पीआरआई) नेता बाम्ने लम्माटी को अगवा कर भारत-म्यांमार सीमा पार ले जाकर बंधक बना लिया है। 22 नवंबर को हुई इस घटना के छठे दिन गुरुवार तक अपहरणकर्ताओं की ओर से कोई संपर्क नहीं हुआ है, जिससे पीड़ितों के परिवार और स्थानीय प्रशासन चिंतित हैं। ठेकेदार से दो करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की गई थी।
घटना की शुरुआत 22 नवंबर को लाजू क्षेत्र में हुई, जब अग्रवाल और लम्माटी उग्रवादियों से बातचीत के लिए पहुंचे थे। सूत्रों के अनुसार, NSCN-K ने पहले अग्रवाल की निर्माण कंपनी से 25 लाख रुपये वसूलने की मांग की थी, जिसे टालते रहने पर मीटिंग तय हुई। लेकिन पहुंचते ही दोनों को बंधक बना लिया गया और फिरौती की राशि दो करोड़ रुपये बढ़ा दी गई। अपहरण के बाद पीड़ितों को म्यांमार के घने जंगलों में ले जाया गया, जहां संगठन का मजबूत नेटवर्क है।
विजय शंकर अग्रवाल राजस्थान के निवासी हैं और तिराप जिले में सड़क निर्माण परियोजनाओं पर काम कर रही अपनी कंपनी के प्रमुख हैं। बाम्ने लम्माटी बामने लम्माटी पंचायत के एक प्रभावशाली नेता हैं, जो स्थानीय स्तर पर सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। यह अपहरण तिराप, चांग्लांग और लोंग्डिंग (टीसीएल) जिलों में व्याप्त वसूली की संस्कृति का हिस्सा है, जहां उग्रवादी समूह निर्माण कंपनियों, व्यापारियों और मजदूरों को बार-बार निशाना बनाते हैं।
जानकार सूत्रों का मानना है कि इन जिलों में उग्रवादी ‘समांतर सरकार’ चला रहे हैं, जहां फिरौती वसूली एक संगठित कारोबार बन चुकी है।
तिराप पुलिस ने अपहरण की शिकायत दर्ज कर खोजी अभियान तेज कर दिया है। खुफिया एजेंसियों के सहयोग से सीमा क्षेत्रों की निगरानी बढ़ाई गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। अभियान जारी है, लेकिन अपहरणकर्ताओं की चुप्पी चिंताजनक है। सुरक्षा बलों को म्यांमार सीमा की दुर्गम भौगोलिक स्थिति के कारण चुनौतियां झेलनी पड़ रही हैं।
स्थानीय अधिकारियों ने बचाव प्रयासों पर कोई आधिकारिक टिप्पणी करने से परहेज किया है।
यह घटना क्षेत्र में उग्रवाद की जड़ों को उजागर करती है। अक्टूबर 2025 में ही NSCN-K ने उसी कंपनी के दो असम निवासी मजदूरों गोलाप बाउरतेल और अर्जुन बोर्डोलोई का अपहरण किया था, जिन्हें असम राइफल्स ने गोलीबारी के बाद मुक्त कराया था।
यहां फिरौती भुगतान के बाद पीड़ितों को रिहा करने की प्रथा आम है, लेकिन यह अवैध लेन-देन प्रशासन के लिए सिरदर्द बना हुआ है। स्थानीय निवासी इन घटनाओं से त्रस्त हैं और केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
प्रशासन ने विकास परियोजनाओं को जारी रखने का आश्वासन दिया है, लेकिन उग्रवाद की छाया में निवेशकों का भरोसा डगमगा रहा है।