20 अक्टूबर को ही क्यों मनाई जाएगी दीपावली 2025? जानिए ज्योतिषाचार्य ने क्या कहा शास्त्र सम्मत कारणों पर
रुड़की। इस वर्ष दीपावली को लेकर चल रहे भ्रम को खत्म करते हुए उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य आचार्य रमेश सेमवाल ने स्पष्ट किया है कि दीपावली 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को ही मनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि यह तिथि शास्त्र सम्मत और पंचांग के अनुसार सर्वश्रेष्ठ मानी जा रही है।
आचार्य सेमवाल ने बताया कि काशी विद्वत परिषद, वाराणसी ने भी इस तिथि की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि 20 अक्टूबर 2025 को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि दोपहर 3:45 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे तक रहेगी। चूंकि दीपावली का पर्व अमावस्या की रात्रि में मनाया जाता है, इसलिए इस वर्ष 20 अक्टूबर की रात्रि ही पूजन के लिए सर्वोत्तम समय रहेगा।
उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर की रात्रि में अमावस्या नहीं रहेगी, इसीलिए दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर सोमवार को ही मनाना उचित और धार्मिक रूप से सही रहेगा। आचार्य के अनुसार इस वर्ष का योग विशेष शुभ है क्योंकि 20 अक्टूबर को प्रदोष काल और रात्रि काल — दोनों समय अमावस्या तिथि विद्यमान रहेगी, जो पूजन के लिए अत्यंत मंगलकारी मानी जाती है।
आचार्य रमेश सेमवाल ने बताया कि लक्ष्मी पूजा का विशेष मुहूर्त “वृषभ लग्न” में शाम 7:08 बजे से 8:18 बजे तक रहेगा। इसके अतिरिक्त, जो लोग इस मुहूर्त में पूजा नहीं कर पाएंगे, वे “सिंह लग्न” में रात्रि पूजा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि “किसी को भी दीपावली की तिथि को लेकर भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि 20 अक्टूबर ही पूर्णत: शास्त्रीय रूप से प्रमाणित तिथि है।”
उन्होंने बताया कि धनतेरस 18 अक्टूबर शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन धन्वंतरि देव की पूजा और खरीदारी का विशेष महत्व रहेगा। शाम 5:58 बजे का समय धनतेरस पर यम दीपदान और धन्वंतरि पूजा के लिए शुभ रहेगा।
19 अक्टूबर रविवार को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इसके बाद 20 अक्टूबर को दीपावली, 21 अक्टूबर को स्नान-दान अमावस्या, 22 अक्टूबर को अन्नकूट व गोवर्धन पूजा, और 23 अक्टूबर को यम द्वितीया (भैया दूज) का पर्व मनाया जाएगा।
आचार्य सेमवाल ने कहा, “यह समय धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ है। लगातार पांच दिनों तक चलने वाले इन पर्वों से न केवल पारिवारिक समृद्धि बढ़ती है, बल्कि समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है। इसलिए सभी लोग श्रद्धा और विधि-विधान से इन पर्वों का उत्सव मनाएं।”