पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर तनाव अब खुली झड़पों में बदल चुका है। शनिवार देर रात अफगानिस्तानी सेना ने पाकिस्तान की सीमा चौकियों पर भीषण हमला किया, जिसे उसने “जवाबी कार्रवाई” बताया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इन हमलों में पाकिस्तान के 12 सैनिक मारे गए हैं, जबकि कई घायल बताए जा रहे हैं।
अफगान सेना ने नंगरहार और कुनार प्रांतों में डुरंड लाइन के पास स्थित पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला बोला। बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान की इस कार्रवाई का मकसद सीमा क्षेत्र में सक्रिय इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) आतंकियों को निशाना बनाना था, जिन पर अफगान सरकार का आरोप है कि उन्हें पाकिस्तानी सेना का संरक्षण प्राप्त है।
अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि उनकी सेना ने पाकिस्तान की तीन सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया है। वहीं, टोलो न्यूज के मुताबिक, तालिबान सरकार के मंत्रालय ने कहा कि “हमारी सेनाओं ने कुनार और हेलमंद प्रांत में स्थित पाकिस्तानी ठिकानों को नष्ट कर दिया है।”
पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने भी जवाबी कार्रवाई में अफगानिस्तान की कई चौकियों को तबाह करने का दावा किया। *हेलमंद प्रांत के बहरम चाह जिले* में हुई मुठभेड़ों में पाकिस्तान के 12 सैनिकों की मौत की पुष्टि मीडिया रिपोर्ट्स में की गई है।
तालिबान सरकार ने चेतावनी दी है कि “हमारी कार्रवाई रात 12 बजे समाप्त हुई थी, लेकिन यदि पाकिस्तान ने हमारी क्षेत्रीय सीमाओं का उल्लंघन दोबारा किया, तो हमारी सेनाएं और भी कड़ा जवाब देंगी।”
उधर, इस बढ़ते तनाव को लेकर सऊदी अरब और कतर ने चिंता जताई है। दोनों देशों ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान से संयम बरतने और विवाद को कूटनीतिक संवाद के माध्यम से हल करने की अपील की है।
तनाव की जड़ 9 अक्टूबर की रात से जुड़ी मानी जा रही है, जब पाकिस्तान ने काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में हवाई हमले कर टीटीपी (तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के ठिकानों को निशाना बनाया था। इन हमलों का लक्ष्य टीटीपी प्रमुख नूर वली मेहसूद को खत्म करना था।
तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तान के इन हवाई हमलों को “युद्ध की शुरुआत” बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज किया था। हैरानी की बात यह है कि पाकिस्तान ने यह कार्रवाई उस समय की जब तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी भारत की आठ दिवसीय यात्रा पर हैं।
सीमा पर लगातार बढ़ रही यह हिंसा न केवल दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए खतरा बनती जा रही है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे अविश्वास को और गहरा कर रही है।