इस बार दीपावली पर बाजारों में पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों का जलवा देखने को मिल रहा है। प्रयागराज की आभा सिंह पिछले पाँच वर्षों से गाय के गोबर से दीपक, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ और अन्य धार्मिक आकृतियाँ बनाकर न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा कर रही हैं, बल्कि महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की नई राह भी खोल रही हैं।
आभा सिंह के आशारानी फाउंडेशन द्वारा बनाए गए ये उत्पाद प्रयागराज से निकलकर अब आगरा, गाजियाबाद, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनग और कोलकाता तक पहुँच रहे हैं। बढ़ती मांग ने यह साबित कर दिया है कि लोग अब इको-फ्रेंडली दीपावली को प्राथमिकता दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि गाय के गोबर से तैयार होने वाले लक्ष्मी-गणेश, भगवान राम दरबार, आकर्षक दीपक और झूमर धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। वहीं, इन मूर्तियों के विसर्जन के बाद यह आसानी से घुल जाती हैं, जिससे जल स्रोतों का प्रदूषण नहीं होता। यही कारण है कि लोग अब प्लास्टर ऑफ पेरिस की जगह गोबर से बनी मूर्तियों को अपना रहे हैं।
इन उत्पादों को बनाने में कई महिला स्वयं सहायता समूह जुड़े हैं, जो आर्थिक रूप से सशक्त बन रहे हैं। आभा सिंह का कहना है कि यह कार्य स्थायी और टिकाऊ रोजगार* का अवसर प्रदान कर रहा है, विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं के लिए।
इन उत्पादों की आकर्षक डिजाइन और विविधता ने ग्राहकों का ध्यान खींचा है। पानी में तैरने वाले दीये, एक घंटे तक जलने वाले दीपक, पंचगव्य से बनी धूपबत्तियाँ, साम्रानी कप और आधुनिक डिजाइन वाली लक्ष्मी-गणेश मूर्तियाँ अब हर घर की पसंद बनती जा रही हैं।
आभा सिंह का मानना है कि गाय का गोबर न केवल धार्मिक रूप से पवित्र है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का भी सबसे सशक्त माध्यम बन सकता है। उनके अनुसार, आने वाले वर्षों में इको-फ्रेंडली उत्पादों का बाजार और भी तेजी से बढ़ेगा।