सरकार श्री नंदा देवी परिषद का शीघ्र गठन करे : नंदा देवीराजजात समिति

देहरादून। श्री नंदा देवीराजजात समिति की बैठक रविवार को टिहरी राजपरिवार से संबंधित भवानी प्रताप सिंह पंवार के राजपुर रोड स्थित आवास पर संपन्न हुई। बैठक में नंदा देवी समिति, अल्मोड़ा के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे। बैठक में वर्ष 2026 में प्रस्तावित हिमालयी महाकुंभ — श्री नंदा राजजात यात्रा की तैयारियों पर विस्तृत चर्चा की गई।

वक्ताओं ने चिंता व्यक्त की कि यात्रा में अब मात्र 11 माह शेष हैं, किंतु अभी तक कोई ठोस तैयारी प्रारंभ नहीं हुई है। लगभग 280 किमी लंबी यह पैदल यात्रा उच्च हिमालय स्थित होमकुंड तक जाती है और सात ऐसे पड़ावों से होकर गुजरती है जो मानव बस्तियों से विहीन हैं।

हर 12 वर्ष में महाकुंभ की तर्ज पर होने वाली यह यात्रा चंपावत, बदियाकोट, लाता, जोशीमठ आदि क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों की विशाल आस्था यात्रा है। समिति ने अनुमान जताया कि आगामी राजजात में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की भागीदारी संभव है।

बैठक में यात्रा मार्ग, पार्किंग, सुरक्षा, भोजन एवं आवास की समुचित व्यवस्था पर बल दिया गया। वक्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दोहराते हुए कहा कि बेदिनी बुग्याल से आगे सीमित यात्रियों को ही अनुमति दी जाए तथा स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य किया जाए।

समिति के अध्यक्ष प्रो. राकेश चंद्र सिंह कुंवर ने कहा कि सरकार को सभी पड़ावों पर आवश्यक सुविधाएँ सुनिश्चित करनी चाहिए। महासचिव भुवन नौटियाल ने कहा कि मार्गों व पुलों की समय रहते मरम्मत कराई जाए और सरकार को शीघ्र “श्री नंदा देवी परिषद” का गठन करना चाहिए ताकि समन्वय के साथ कार्य संपन्न हो सके।

अल्मोड़ा समिति के अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा कि परंपराओं के अनुरूप कुमाऊँ की नंदा यात्रा भी नंदकेसरी में भव्य रूप से शामिल होगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि यात्रा के दौरान सांस्कृतिक दलों को भेजा जाए जिससे आयोजन का प्रचार-प्रसार बढ़े। महासचिव मनोज सनवाल ने नंदा राजजात से संबंधित सभी ऐतिहासिक तथ्यों के दस्तावेजीकरण की आवश्यकता बताई।

वक्ताओं ने यह भी सुझाव दिया कि “श्री नंदा देवी” के नाम से एक विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए जिससे उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण व अध्ययन संभव हो सके।

गढ़वाल राजपरिवार के भवानी प्रताप सिंह पंवार ने कहा कि यह आयोजन गढ़वाल और कुमाऊँ की साझा सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने आग्रह किया कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली इस यात्रा का दस्तावेजीकरण करे तथा सरकार पूर्व में ही यात्रा व्यवस्थाओं हेतु धनराशि जारी करे।

वक्ताओं ने बुग्यालों की रक्षा हेतु मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि पर्यावरण को किसी भी प्रकार की क्षति न पहुँचे।

बैठक में विभिन्न उप-समितियों का गठन भी किया गया।
इस अवसर पर भवानी प्रताप सिंह पंवार, प्रो. राकेश चंद्र सिंह कुंवर, भुवन नौटियाल, मनोज वर्मा, मनोज सनवाल, शिव पैन्यूली, डॉ. अविनाश चंद्र जोशी, प्रो. सुभाष चंद्र थलेडी, डी.पी. सती, मेजर जनरल (सेनि.) कुंवर दिग्विजय सिंह, विनोद प्रसाद रतूड़ी (आईएएस, सेनि.), डॉ. नंदकिशोर हटवाल, डॉ. हरीश चंद्र मैखुरी, डी.एस. कुंवर, लक्ष्मी रावत, रश्मि पुरोहित, कुंदन सिंह टिकोला, मनोज पुरोहित, डॉ. मानवेन्द्र बर्तवाल, हरीश चंद्र नौटियाल, ऐश्वर्य नौटियाल, आशा राम कुमेड़ी, डॉ. आलोक, संदीप गुसाई,बिशन सिंह कुंवर, विनोद नौटियाल, रवींद्र तोपाल, कर्नल डी.एस. बर्तवाल और विवेक नौटियाल सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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