देश में हर साल मार्ग दुर्घटनाओं में हो जाती है 9000 बच्चों की मौत
सत्यनारायण मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार
गुवाहाटी। देश में हर साल 9,000 से अधिक बच्चों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत होती है, जो इसे बच्चों के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में उजागर करता है। इस चुनौती से निपटने के लिए असम सरकार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और सेवलाइफ फाउंडेशन ने स्कूल क्षेत्रों में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
गुवाहाटी में 5 अगस्त को इस पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें स्कूल क्षेत्रों के आसपास सड़क सुरक्षा बढ़ाने की प्रभावी रणनीतियों पर जोर दिया गया।
कार्यशाला में असम पुलिस (यातायात शाखा), लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), एनएचएआई और स्कूल प्रतिनिधियों सहित करीब 45 अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
गुवाहाटी के पुलिस उपायुक्त (यातायात) जयंत सारथी बोरा ने कार्यशाला में प्रस्तुत अंतर्दृष्टि पर आलोकपात करते हुए कहा कि इससे हमें प्रवर्तन को मजबूत करने और बच्चों के सड़क जोखिम को कम करने के लिए शहरी योजनाकारों और स्कूलों के साथ अधिक प्रभावी ढंग से सहयोग करने में मदद मिलेगी। हम सड़क पर ऐसे वाहन चलाएँ जैसे हर बच्चा आपका अपना हो।
कामरूप (महानगर) की जिला सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य सचिव अभिजीत चौधरी ने कहा कि “सड़कों पर बच्चों की सुरक्षा एक साझा ज़िम्मेदारी है जिसके लिए तत्काल और समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। इस कार्यशाला में व्यावहारिक, आँकड़ों पर आधारित हस्तक्षेपों पर प्रकाश डाला गया है जिन्हें स्कूल क्षेत्रों में जोखिम कम करने के लिए तुरंत लागू किया जा सकता है। हम असम में हर बच्चे के लिए सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए शहरी योजनाकारों से लेकर स्कूल प्रशासकों तक सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
कार्यशाला के दौरान, प्रतिभागियों को गुवाहाटी और देश के अन्य हिस्सों में किए गए सुरक्षा ऑडिट, आकलन और सामरिक पुनर्रचना से महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई। इस सत्र में उन्हें सड़कों पर बच्चों की भेद्यता को कम करने के लिए साक्ष्य-आधारित रणनीतियों से भी लैस किया गया, जिसमें प्रभावी हस्तक्षेपों को आकार देने में आँकड़ों पर आधारित निर्णय लेने की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। इसके अतिरिक्त, सत्र में स्कूल क्षेत्रों में और उसके आसपास कम लागत वाले, उच्च प्रभाव वाले सुरक्षा हस्तक्षेपों को लागू करने के लिए कार्रवाई योग्य कदमों पर आम सहमति बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
कार्यशाला में गुवाहाटी और देश के अन्य हिस्सों में किए गए सड़क सुरक्षा ऑडिट और आकलन के निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए। प्रतिभागियों को स्कूल क्षेत्रों में कम लागत वाले, उच्च प्रभाव वाले सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए साक्ष्य-आधारित रणनीतियों से लैस किया गया। परिवहन विभाग के अतिरिक्त सचिव गौरव उपाध्याय ने कहा, “बच्चों की सड़क सुरक्षा केवल परिवहन का मुद्दा नहीं, बल्कि जन स्वास्थ्य और मानवाधिकारों का मामला है। यह कार्यशाला असम में सुरक्षित स्कूली वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
सेवलाइफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा, “किसी भी बच्चे को स्कूल जाने के लिए अपनी जान जोखिम में नहीं डालनी चाहिए। हम असम सरकार और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर स्कूल क्षेत्रों को बच्चों के लिए सुरक्षित और अनुकूल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” कार्यशाला में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा के साथ-साथ स्थानीय संदर्भों के अनुरूप स्कूल क्षेत्र सुधार योजनाओं का सह-विकास भी किया गया।
यह कार्यशाला सेवलाइफ फाउंडेशन और स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन इंडिया की भारत में सुरक्षित सड़कें बनाने की व्यापक पहल का हिस्सा है, जिसका विशेष ध्यान बच्चों की सुरक्षा पर है।