विधायक दिलीप रावत पर धीरेंद्र प्रताप का हमला, परिवारवाद को लेकर उठाए  सवाल

देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने लैंसडाउन विधायक महंत दिलीप रावत पर जोरदार हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वे और उनके परिवार वाले “परिवारवाद” की राजनीति कर रहे हैं। धीरेंद्र प्रताप का कहना है कि भाजपा सरकार चाहे जितनी भी परिवारवाद के खिलाफ होने का दावा करे, लेकिन राज्य के पंचायती चुनावों में लैंसडाउन विधायक और उनके परिवार के सदस्य जिस तरह से राजनीति में अपना दबदबा बना रहे हैं, उससे यह साबित होता है कि पार्टी के सिद्धांत और जमीनी हकीकत में बहुत अंतर है।

धीरेंद्र प्रताप ने विधानसभा क्षेत्र लैंसडाउन की पंचायती चुनावी गतिविधियों को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि विधायक दिलीप रावत के परिवार के कई सदस्य और करीबी लोग अलग-अलग पंचायत पदों के लिए चुनाव लड़ने जा रहे हैं, जो कि परिवारवाद का एक जबरदस्त उदाहरण है। उन्होंने एक-एक करके यह आरोप लगाए कि:

  1. जयहरीखाल ब्लॉक के बडगांव क्षेत्र से लैंसडाउन विधायक महंत दिलीप रावत के बड़े भाई की धर्मपत्नी क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ेंगी।

  2. जयहरीखाल ब्लॉक के पडेरगांव क्षेत्र से लैंसडाउन विधायक के PRO चंद्रकांत द्विवेदी क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ेंगे।

  3. जयहरीखाल ब्लॉक के गवाणा क्षेत्र से लैंसडाउन विधायक के PRO रणवीर सजवाण भी चुनावी मैदान में होंगे।

  4. रिखणीखाल ब्लॉक के बसड़ा क्षेत्र से लैंसडाउन विधायक के सगे भाई की धर्मपत्नी क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव में उतरेंगी।

  5. रिखणीखाल ब्लॉक के क्षेत्र पंचायत सदस्य पद के लिए लैंसडाउन विधायक की धर्मपत्नी भी चुनावी मैदान में हैं।

धीरेंद्र प्रताप ने इस पर सवाल उठाया कि क्या भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार इस “परिवारवाद” को सही ठहराएंगे, जब वे केंद्र में इसके खिलाफ की बात करते हैं? उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “केंद्र में बैठी मोदी सरकार का यह दोहरा चेहरा स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है।” जबकि केंद्र सरकार परिवारवाद के खिलाफ अपनी राजनीति को प्रचारित करती है, राज्य में स्थिति कुछ अलग ही है, जहां सत्ताधारी पार्टी के नेता और उनके परिजन अपने परिवार के सदस्यों को हर स्तर पर राजनीतिक पदों पर विराजमान कर रहे हैं।

पंचायती चुनाव और लोकतंत्र पर सवाल

धीरेंद्र प्रताप ने आगे कहा कि जब भाजपा सरकार “पार्टी विथ डिफरेंस” का दावा करती है और परिवारवाद से लड़ाई की बात करती है, तो उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायती चुनावों में यह परिवारवाद किस हद तक बढ़ चुका है, यह साफ दिखता है। उन्होंने कहा, “यह स्थिति स्थानीय लोकतंत्र की मूल भावना पर सवाल खड़ा करती है। जब एक ही परिवार के सदस्य पंचायत चुनावों में लड़ रहे हों, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।”

उनका कहना था कि ये चुनाव पार्टी सिंबल के बिना हो रहे हैं, लेकिन यह तथ्य कि तीनों ब्लॉकों में एक ही परिवार का दबदबा है, यह सत्ता के दुरुपयोग को दर्शाता है। उनके अनुसार, परिवारवाद सिर्फ विधानसभा या संसद तक ही सीमित नहीं रह सकता, जब पंचायत स्तर पर भी इसका प्रभाव बढ़ जाए, तो यह लोकतंत्र की हत्या के बराबर है।

सवालों का जवाब मांगती जनता

धीरेंद्र प्रताप ने जनता से भी कुछ सवाल किए, जिनके उत्तर उन तक नहीं पहुंच पाए हैं। उनके अनुसार, “अगर कोई परिवार या व्यक्ति पिछले 15 वर्षों से सत्ता में है, तो जनता को यह पूछने का पूरा हक है कि उन्होंने क्षेत्र के लिए क्या किया?” उन्होंने क्षेत्र के विकास कार्यों पर भी सवाल उठाए और मांग की कि जनता को बताए जाए कि:

  • 15 वर्षों में क्षेत्र में कौन से विकास कार्य हुए हैं?

  • कितने अस्पताल खोले गए और वहां की व्यवस्थाएं क्या हैं?

  • कितने विद्यालयों का स्तर सुधरा और कितने युवाओं को रोजगार मिला?

  • रिखणीखाल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सड़क की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • कितनी बार क्षेत्र में समस्याओं पर जनता से खुलकर संवाद किया गया?

  • त्रिस्तरीय विकास योजनाओं को पारदर्शिता से लागू किया गया?

लोकतंत्र का मजाक

धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि अगर क्षेत्र की जनता को सिर्फ एक ही परिवार के चेहरे दिखाई दे रहे हैं और विकास के नाम पर उन्हें कुछ नहीं मिल रहा है, तो यह लोकतंत्र का मजाक और जनता के अधिकारों का हनन है। उन्होंने दावा किया कि इस तरह की राजनीति से लोकतंत्र और पंचायती राज व्यवस्था कमजोर हो रही है।

उनका कहना था कि यह परिवारवाद केवल सत्ता के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है, और ऐसे में उत्तराखंड में लोकल डेमोक्रेसी की आत्मा खतरे में है।

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