रामगढ़ महिला साहित्य मंच की अंतरराष्ट्रीय कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता मंच की अध्यक्षा डॉ. शारदा प्रसाद, हिंदी साहित्य भूषण एवं पूर्व प्राचार्या, रामगढ़ महाविद्यालय ,रामगढ़ ने की। उन्होंने उपस्थित अतिथियों का तथा कवयित्रियों का स्वागत किया एवं विषय प्रवर्तन कराया।
डॉ स्वाति पांडेय के सरस्वती वंदना के सुमधुर स्वरों में पाठ से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात मंच संचालिका डॉ रजनी गुप्ता, उपाध्यक्ष महिला साहित्य मंच, ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए सबसे पहले मॉरीशस की कक्षा चार की छात्रा समृद्धि रोमा काशीनाथ को काव्य पाठ हेतु आमंत्रित किया। समृद्धि रोमा काशीनाथ ने “आओ रेत का घरौंदा हम बनाएं, मिलकर आज कलाकारी दिखाएं” । इसके पश्चात मॉरीशस से ही छात्र अहाना शिवनंदन ने “पेड़-पौधे हमारे मित्र हैं, पेड़-पौधे छोटे हो या बड़े बड़े काम के होते हैं” का पाठ करके सब का मन मोह लिया। ओजस्वी अनत, ने “लक्ष्य जीवन का मुश्किल नहीं, हार हो या जीत मेहनत का फल इसे समझना” , अगली कवयित्री श्रिया मिश्रा ने”लोहा जितना तपता है, उतनी ताकत देता है, हम आदम के बेटे हैं।” का पाठ करके मंच को एक नई ऊंचाई प्रदान की। श्रीमती आराधना मिश्रा ने “न तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना तुम अपने कंधों पर सर रख कर सो सकते हो” कविता का वाचन किया। मॉरीशस के शिक्षक डॉ. सोमदत्त काशीनाथ ने एक बंगला कविता का पाठ सुमथुर स्वर में किया तथा उनकी स्व रचित कविता “मैं सागर नहीं हूं, जो मोतियों से भर जाऊंगा झोली तुम्हारी” का पाठ करके जीवन की सच्चाइयों का उल्लेख किया। डॉ स्वाति पांडेय ने सुमधुर कंठ से भजन प्रस्तुत करके भक्ति की लहरों में सभी को निमग्न कर दिया।
कार्यक्रम के अगले सोपान पर डॉ. रजनी गुप्ता ने मॉरीशस के नन्हे बच्चों के लिए कुछ पंक्तियां “आज बहुत फूल खिले हैं, अवलोकन कीजिए, हवा चल रही है महसूस कीजिए” तथा ऑपरेशन सिंदूर पर कविता “सहमे हुए, दहले हुए, स्तब्ध, नि:शब्द, हतप्रभ, आतंकित, इस बर्बर हत्याकांड पर उबला हुआ मन” कविता का पाठ करके सभी को इस अप्रत्याशित घटना पर गंभीर मनन करने को भी विवश कर दिया। अंत में मॉरीशस की ही कक्षा चार की छात्रा तविष्का नापोल ने अपने मधुर स्वरों से “सा रे गा मा पा धा नि सा..सात सुरों के सरगम से नभ में रंग भरो, सब मिल मन में प्यार भरें, आशा के नए दीप जलाकर जीवन जोत जलाएं” का पाठ करके सभी की वाहवाही लूटी।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. शारदा प्रसाद ने अध्यक्षीय भाषण में प्रस्तुत कविताओं का समाहार प्रस्तुत किया तथा आज की नन्हीं कवयित्रियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि मंच पर प्रस्तुति देना बहुत बड़ी बात है और यह व्यक्तित्व निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए विद्यालयी बच्चों को बढ़-चढ़कर मंच पर अपने विचार रखने चाहिए। उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” पर अपनी कविता “सहम गई हवाएं सहसा और धरती चीत्कार उठी, फट गया सीना अंबर का, अश्रुजल का मानो ज्वार उठी” प्रस्तुत किया।
मंच की उपाध्यक्ष डॉ. रजनी गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन व कार्यक्रम का सुंदर कौशलपूर्ण संचालन किया।