निधि कुलपति: भारतीय पत्रकारिता की मिसाल और ऋषिकेश की गौरवमयी विरासत

शीशपाल गुसाईं

निधि कुलपति, भारतीय पत्रकारिता के उस स्वर्णिम युग की प्रतीक हैं, जहाँ शब्दों में संयम, प्रस्तुति में गरिमा और विचारों में स्पष्टता का अनुपम संगम दिखाई देता था। एनडीटीवी की मशहूर एंकर के रूप में उन्होंने न केवल समाचार वाचन को एक कला का रूप दिया, बल्कि अपनी सौम्यता और शालीनता से लाखों दर्शकों के दिलों में स्थान बनाया। पिछले सप्ताह, जब यह समाचार सामने आया कि निधि जी ने 22 मई, 2025 को अपने 23 वर्षों के एनडीटीवी के शानदार सफर को विराम दे दिया, तो यह न केवल एक पत्रकार के सेवानिवृत्त होने की घटना थी, अपितु भारतीय न्यूज़ मीडिया के एक संजीदा और सशक्त दौर के अवसान का प्रतीक थी।

35 वर्षों से अधिक के अपने तजुर्बे में निधि जी ने पत्रकारिता को एक नई ऊँचाई दी। ज़ी न्यूज़ से लेकर एनडीटीवी तक, एक समाचार वाचिका से मैनेजिंग एडिटर तक का उनका सफर अनगिनत पत्रकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा। उनकी आवाज़ में विश्वसनीयता थी, और उनके शब्दों में वह गहराई जो सत्य को न केवल उजागर करती थी, बल्कि उसे संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत भी करती थी। 2020 में मैंने ऋषिकेश के महंतों पर विस्तृत इतिहास इंटरनेट मीडिया पर लिखते समय अपनी नवीं किस्त में निधि कुलपति का जिक्र किया था। तभी एनडीटीवी के उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार और वर्तमान में उत्तराखंड सरकार में राज्य मंत्री, हमारे मित्र दिनेश मानसेरा जी का फोन आया कि निधि जी अभी थोड़ा व्यस्त हैं, लेकिन वह आपका शुक्रिया अदा करना चाहती हैं कि आपने उनके बारे में इतना अच्छा लिखा। अब जब निधि जी एनडीटीवी से रिटायर हो चुकी हैं, तो देश के कई पत्रकारों ने उनके बारे में बहुत अच्छा – अच्छा लिखा है। मेरे फेसबुक मित्र और एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार सुशील बहुगुणा लिखते हैं निधि जी से दिल्ली में मुलाकात तो नहीं होगी, लेकिन उनसे ऋषिकेश में जरूर मुलाकात होगी।” तो आइए, हम आपको बताते हैं कि, निधि कुलपति का ऋषिकेश से क्या नाता है।

निधि कुलपति जी की वंशावली भी उतनी ही गौरवमयी है, जितना उनका व्यावसायिक जीवन। ऋषिकेश के महंत परिवार से उनका गहरा नाता है। उनकी माता, श्रीमती प्रमिला, महंतों की बेटी थीं, और इस प्रकार निधि जी इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक वंश की भांजी हैं। इस परिवार के गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है। संभवतः अब निधि जी अपने मूल स्थान, ऋषिकेश, में समय व्यतीत करेंगी, जहाँ उनकी जड़ें गंगा की पवित्र धारा के समान गहरी और अटूट हैं। उनके परनाना परशुरामजी जखोली गांव नजदीक गजा ,नरेंद्रनगर टिहरी गढ़वाल के मूल सरोला बिजल्वाण थे, जो गांव से आकर ऋषिकेश बस गए थे। यहाँ भरत मंदिर के महंत बन गए। उनके पुत्र महंत श्री ज्योति प्रसाद शर्मा थे, जिन्होंने भरत मंदिर की गरिमामय परंपरा को आगे बढ़ाया। महंत श्री ज्योति प्रसाद शर्मा की ज्येष्ठ पुत्री श्रीमती प्रमिला के अतिरिक्त अन्य संतानों में मंहत श्री अशोक प्रपन्न शर्मा, श्री अरविंद, विजया देवी, गीता देवी और श्री हर्षवर्धन शर्मा शामिल हैं। इस परिवार ने न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। दुखद रूप से, निधि की माता श्रीमती प्रमिला का निधन सन् 2019 में हो गया था। निधि के पिता का नाम डॉ. कुलपति था। निधि के दूसरे नाना श्री शांति प्रपन्न शर्मा थे, जो उत्तर प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री संपूर्णानंद तथा चंद्रभान गुप्ता की मंत्री परिषद के सदस्य थे। शांति प्रपन्न शर्मा मसूरी विधानसभा सीट से विधायक थे, जब मसूरी के अंतर्गत मसूरी, रायपुर, डोईवाला और ऋषिकेश क्षेत्र आते थे।

सन् 2020 में, मैं भरतु दाई ( भरत सिंह नेगी) के सिलसिले में ऋषिकेश स्थित भरत मंदिर के महंतों से मिलने गया था। जानकारी मिली कि 1970 के दशक में तत्कालीन प्रभावशाली मंत्री शांति प्रपन्न शर्मा ने भरतु दाई के विरोधियों का साथ दिया था और उन्हें शक्ति प्रदान की थी। गौरतलब है कि भरतु दाई एक जमाने में देहरादून सहित गढ़वाल का रॉबिनहुड था। कई दिनों की छानबीन के बाद अंततः महंतों की वंशावली में निधि कुलपति के बारे में पता चला। निधि जी के न्यूज़ चैनल के साथ-साथ हमारा न्यूज़ चैनल ‘सहारा समय’ भी शुरू हुआ था। निधि को देखकर हमने पीटीसी (पीस टू कैमरा) की प्रैक्टिस की थी। दस साल तक टीवी न्यूज़ में काम करने के दौरान हमने बहुत कुछ सीखा। इसमें प्रमोद कौंसवाल जी और प्रभात डबराल जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

भारत मंदिर न केवल ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मंदिर है, बल्कि चारधाम यात्रा का प्रारंभिक बिंदु भी है। यह मंदिर तीर्थयात्रियों के लिए आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की खोज का केंद्र रहा है। त्रिवेणी घाट के समीप स्थित होने के कारण यह गंगा स्नान और श्राद्ध-तर्पण जैसे कर्मकांडों के लिए भी महत्वपूर्ण है। मंदिर में प्रतिदिन होने वाली पूजा-अर्चना और विशेष अवसरों पर आयोजित उत्सव, जैसे बसंत पंचमी और राम नवमी, स्थानीय लोगों और यात्रियों के बीच आस्था का संचार करते हैं।

निधि कुलपति उन विरले व्यक्तित्वों में से हैं, जिनके होने मात्र से टेलीविजन स्क्रीन पर विश्वास और सम्मान का भाव जागृत होता था। उनकी विदाई के साथ एक खालीपन अवश्य आया है, किन्तु उनकी प्रेरणा और विरासत हमेशा जीवंत रहेगी। हमारी ओर से उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ कि वह अपने जीवन के इस नए अध्याय में भी उतनी ही शांति, संतुष्टि और सफलता प्राप्त करें, जितना उन्होंने अपने कार्यकाल में अर्जित किया। उनकी वंशावली और उनके कार्यों पर हमें गर्व है।

Leave a Reply