आशीष कुमार सिंह
नैनीताल। जिले के हल्द्वानी नगर निगम के वार्ड संख्या 43 अरावली वाटिका छड़ायल निवासी हंसा दत्त जोशी के घर में महीना भर पहले ही कुछ कर्मचारी उनके घर पर आकर स्मार्ट मीटर लगा गए । महीना बीता तोबिजली का बिल देख उनके होश फाख्ता हो गए। वजह थी 46 लाख 60 हजार रुपए से ज्यादा ऑनलाइन बिजली बिल। हंसा दत्त जोशी ही नहीं बल्कि ऊर्जा निगम के अफसर भी हैरान रह गए आखिर कैसे नए मीटर में लाखों का बिल आ गया। अब पूरे मामले की जांच कराई गई। विद्युत मीटर को दोबारा से चेक कराया गया और उनसे न्यूनतम बिजली बिल करीब 400 रुपये जमा करने के लिए कहा गया है। हल्द्वानी ही नहीं देहरादून में भी स्मार्ट मीटर लगने के बाद लोगों के लाखों रुपये के बिल आने लगे हैं। देहरादून के चांदमारी निवासी कर्मजीत सिंह ने का बिजली बिल करीब ढाई हजार रुपए आता था जो स्मार्ट मीटर लगने के बाद डेढ़ लाख रुपए पर पहुंच गया । भगवान सिंह ने बताया कि उनका बिल पहले 800 रुपये आता था जो अब 5000 रुपये पहुंच गया है। एक अन्य महिला का बिल 500 आता था जो अब 5000 आया है। स्मार्ट मीटर के बाद भारी भरकम बिजली बिल आने के ये कुछ ही उदाहरण हैं लेकिन प्रदेश में जहां जहां स्मार्ट मीटर लग रहे हैं। ऐसी शिकायतें आम हो चुकी हैं। चंपावत में तो स्मार्ट मीटर लगने के बाद जानकी देवी का बिल तो करीब छह लाख (598606 रुपये )आ गया।
लोग हैरान परेशान है। उन्हें लग रहा है कि वह सरकार द्वारा ठगे गए। यह सब तब हो रहा है जब पिछले साल के अंत में स्मार्ट मीटर योजना शुरू करते वक्त सरकार ने दावा किया था कि घरों में स्मार्ट मीटर लगने से उन्हें बिल का अधिक भुगतान करने से राहत मिलेगी। लेकिन स्मार्ट मीटर तो स्मार्ट जेबकतरा बन गया है।
स्मार्ट मीटर को लेकर देश भर से बिल को लेकर अजीबोगरीब खबरें आ रही हैं तो देश के कई राज्यों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का विरोध शुरु हो गया है। उत्तराखंड में कुमाऊं के कई क्षेत्रों में जनप्रतिनिधि इन मीटरों को लगाने का लगातार विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस के किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ ने तो इन स्मार्ट प्रीपेड मीटर को सड़क पर फेंककर तोड़कर विरोध जताया है। तिलक राज बेहड़ का कहना है कि यह मीटर लोगों पर बोझ बनेंगे. कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए इन मीटर को सरकार ने लोगों के घरों में लगाना शुरू किया है। कई जगहों पर यह मीटर बिना बिजली के भी बिल दे रहे हैं. ऐसे में गरीब जनता को स्मार्ट मीटर से लूटने की यह नई साजिश की जा रही है. विधायक ने धमकी देते हुए कहा कि अगर उनके क्षेत्र में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे तो बड़ा आंदोलन होगा. भले ही इसके लिए उन्हें जेल भी क्यों न जाना पड़े. हालांकि विधायक के विरोध के बाद आसपास के इलाकों में फिलहाल मीटर लगाने का काम पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
वहीं रामनगर के पास बेड़ाझाल गांव में पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने स्मार्ट मीटर के खिलाफ प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कि बीते दिन कुछ गांवों के कई घरों में यह कहकर स्मार्ट मीटर लगाए गए कि अगर तुम स्मार्ट मीटर नहीं लगाओगे, तो तुम्हारा कनेक्शन काट दिया जाएगा। जिससे घबराकर कई ग्रामीणों ने इन मीटरों को अपने यहां लगवा लिया। उन्होंने कहा कि जब से यह मीटर लगा है, उनके यहां बिजली की रीडिंग भी तेजी के साथ बढ़ रही है। कांग्रेस के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने कहा कि सरकार गरीबों के यहां स्मार्ट मीटर लगाकर उनका उत्पीड़न कर रही है। जो पूंजीपति हैं, उनके यहां पहले यह मीटर लगाने की कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही। जो स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, उनकी कीमत 25,000 रुपए है। बाद में सरकार इस मीटर की कीमत को भी बिलों के माध्यम से ब्याज सहित वसूलने का काम करेगी। उन्होंने स्मार्ट मीटरों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। जब मामला बढ़ा तो उत्तराखंड के ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने राज्य में लगाए जा रहे बिजली के प्रीपेड मीटर को लेकर कहा कि घरों में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला केंद्र स्तर पर हुआ है। इसमें राज्य का कोई रोल नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जो मीटर विभाग लोगों के घरों में लगा रहा है वो पोस्टपेड मीटर हैं । ये मीटर स्मार्ट मीटर हैं और मोबाइल से कनेक्ट हो सकते हैं। उपभोक्ता मोबाइल पर ही अपनी प्रतिदिन की खपत के बारे में जानकारी ले सकता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई उपभोक्ता प्रीपेड मीटर लगाता है तो उसे बिजली बिल में चार फीसदी की छूट मिलेगी। स्मार्ट मीटर लगवाने से उपभोक्ता बिजली की बचत के लिए प्रेरित होंगे। जब मीनाक्षी सुंदरम का दावा है कि बिजली के मीटर में रीडिंग को लेकर सबसे अधिक शिकायतें आती हैं। ऐसे में नए स्मार्ट मीटर लगने के बाद ये शिकायतें दूर हो जाएंगी। गलत रीडिंग की समस्याएं सीएम के शिकायत पोर्टल पर भी दर्ज की जाती हैं। ऐसे में स्मार्ट मीटर लगने से लोगों को हो रही परेशानी दूर हो जाएगी। लेक्न सवाल यह है कि जिन इलाकों में मोबाइल सिग्नल नहीं है और जहां इंटरनेट नहीं है वहां क्या होगा। बहरहाल, स्मार्ट मीटर का विरोध प्रदेश में बढ़ता गया तो इस पूरे मामले में जनता के विरोध को देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी दखल दिया। उन्होंने निर्देश दिए है कि पहले राज्य के सभी मंत्रियों के सरकारी और निजी आवासों पर स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे।
बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते दिनों स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की घोषणा की थी। जिसके तहत पूरे प्रदेश में 15.87 लाख घरों में यह मीटर लगाना है. ऊर्जा विभाग का दावा है कि मीटर लगाने से उपभोक्ता को यह सहूलियत होगी कि वह अपने मोबाइल से ही बिजली का रिचार्ज कर सकेगा। इतना ही नहीं, उपभोक्ता कितनी बिजली फूंक रहा है? इसकी जानकारी भी उसके मोबाइल पर लगातार अपडेट होती रहेगी। बिजली बिल में क्या कमी है? कितना अधिक पैसा आ रहा है? इसकी भी जानकारी सीधी तौर पर उपभोक्ता के पास होगी लेकिन जब भारी भरकम बिलों की शिकायतें आई और विरोध बढ़ा तो यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने स्मार्ट मीटर की खासियत बताने व घर-घर प्रचार के लिए मुख्यालय स्तर पर एक टीम गठित कर दी।
इस तरह देखें तो सरकार भले कुछ कह रही हो लेकिन स्मार्ट मीटर योजना से पीछे हटती नहीं दिखती। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार अपने चहेते पूंजीपतियों को लाभ देने के लिए स्मार्ट मीटर लगवाने पर तुली है। बता दें कि कुमाऊं में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का काम अडानी एनर्जी सॉल्यूशन कंपनी को दिया गया है। प्रथम चरण में उत्तराखंड के तराई इलाके और ग्रामीण क्षेत्रों में यह मीटर लगाने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्र में मात्र नगर मुख्यालय में ही यह मीटर लगाए जाएंगे। वहीं एक दूसरी कंपनी जीनस पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर को देहरादून, ऋषिकेश, रुड़की और हरिद्वार में स्मार्ट मीटर लगाने का पहला चरण शुरू करने का काम दिया गया। है। तमाम विरोध के बावजूद अप्रैल अंत में उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने उत्तराखंड के उद्योगों में इसी साल अगस्त तक स्मार्ट मीटर लगाने का आदेश जारी किया है।आदेश के मुताबिक सभी एचटी उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर 30 जून तक, सभी सरकारी दफ्तरों व सरकारी आवास पर स्मार्ट मीटर 30 सितंबर तक और एलटी उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर 31 अगस्त तक लगाए जाएंगे। साथ ही यूपीसीएल टाइम ब्लॉक के हिसाब से स्मार्ट मीटर से बिजली खपत का डाटा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए है। तांकि एलटी और एचटी उद्योगों में बिजली की असल खपत की जानकारी महीनावार पता चल सके। बहरहाल लगता है कि स्मार्ट मीटर का मुद्दा लंबा खिंचने वाला है क्योंकि न तो सरकार विरोध के बावजूद अपने कदम पीछे खींचने को राजी नहीं।