22 अप्रैल को पहलगाम की घटना ने भारत के पाकिस्तान के खिलाफ एक नए संघर्ष की भावना को प्रेरित किया हालांकि पूर्व में भी आजादी के उपरांत पाकिस्तान इस तरह प्रयास करता रहता है,और कई बार उसकी पराजय का सामना भी करना पड़ा है
भारत सरकार द्वारा ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की धरती पर आतंकवाद पर एक जोरदार प्रहार किया और जिसने इस बात को फिर दिखा दिया कि भारत की सेना की क्षमता, युद्ध कौशल और राजनीतिक नेतृत्व विश्व के श्रेष्ठतम नेतृत्व में से है
भारतीय इतिहास में भी मौर्य शासक अशोक के अभिलेख में अपने शत्रुओं के प्रति सख्त रुख का उल्लेख मिलता है साथ ही साथ उन्हें चेतावनी भी जाती है कि वह शांति का पोषक है परंतु अगर किसी तरह का युद्ध थोपने की प्रयास किया गया तो उसे उचित दंड मिलेगा
1998 मे भी भारत सरकार द्वारा पोखरण टेस्ट कर यह बात सिद्ध कर दी गई थी कि वह शक्ति का दुरुपयोग नहीं करता है और ना ही करेगा परंतु अपने आप को सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में सदैव प्रयासरत रहेगा और उस मानक को सदैव स्थापित किया है
ऑपरेशन सिंदूर भी इसी कड़ी में एक बड़ा कदम है जिसने पाकिस्तान की शक्ति को तहस-नहस कर दिया है और उसको यह एहसास कर दिया है कि भारत के सामने खड़े होने की शक्ति उसमें नहीं है, इसीलिए उसने अपने निष्कृष्टता के प्रयासों में धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाने का प्रयास किया है, हालांकि भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया है और उसको आर्थिक रूप से उसको एक करारी चोट दी है
अर्थव्यवस्था किसी भी राष्ट्र के लिए युद्ध में खड़े होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, आर्थिक संसाधनों का मजबूत होना और जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरे विश्व में विख्यात हो चुकी है कि वह मांग मांग कर चल रही है, जहां भारत विश्व में श्रेष्ठ अर्थव्यवस्था में अपना स्थान बना रहा है पाकिस्तान पहले 25 स्थान में भी नहीं है ले
विश्व की लगभग सभी बड़ी शक्तियां भारत के साथ इस आतंकवाद के खिलाफ जंग में भारत के साथ खड़े हैं, एकाद राष्ट्र जो पाकिस्तान के खड़े भी हैं वह भी इतनी मजबूत नहीं दिख रहे हैं, कुल मिलाकर भारत का यह बड़ा कदम शांति के मार्ग को प्रशस्त करेगा क्योंकि कभी-कभी शांति के मार्ग पर चलने के लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना आवश्यक होता है ऑपरेशन सिंदूर इस बात का प्रतीक बन चुका है जो पूरे विश्व के लिए एक मिसाल बनेगा,l अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप का शांति के लिए प्रयास यदि स्वीकार भी होता है,तो यह भारत की शक्ति का परिचायक होगा l
डॉ रवि शरण दीक्षित,
इतिहास विभाग डी ए वी, पीजी कॉलेज
देहरादून
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