भुरकुंडा(रामगढ़)। विश्व हिन्दू परिषद की आयाम संगठन दुर्गा वाहिनी भुरकुंडा खंड के द्वारा मंगलवार को भुरकुंडा में जगतजननी माता सीता जन्मोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दुर्गा वाहिनी के द्वारा पूरे देश भर में माता सीता नवमी कार्यक्रम के निमित्त 3 मई से मां सीता जन्मोत्सव कार्यक्रम जगह-जगह मनाया जा रहा है जो 9 मई तक चलेगा।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर दुर्गा वाहिनी भुरकुंडा खंड संयोजिका नैना कुमारी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ माता सीता के चित्र पर पुष्प अर्पित और आरती करके की गई।इस दौरान दुर्जनों की संख्या महिलाएं एवं युवतियां शामिल हुई।माता सीता के चित्र पर सभी ने पुष्प अर्पित कर माता सीता नमन किया।इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दुर्गा वाहिनी भुरकुंडा खंड संयोजिका नैना ने कहा कि प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार मिथिला में लंबे समय से बारिश नहीं हो रही थी। इस बात को लेकर राजा जनक बहुत परेशान थे। उन्होंने इसके लिए ऋषि-मुनियों से विचार-विमर्श किया और समस्या का समाधान करने का अनुरोध किया। ऐसे में ऋषि-मुनियों ने राजा जनक को खेत में हल चलाने की राय दी थी। ऋषि-मुनियों ने कहा कि यदि राजा जनक आप ऐसा ही करेंगे, तो इंद्र देवता की कृपा अवश्य बरसेगी। राजा जनक ने ऋषि-मुनियों के आदेश का पालन कर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन खेत में हल चलाया। इस दौरान उनके हल से कोई वस्तु टकराई, यह देख राजा जनक ने सेवादारों से उस जगह की खुदाई करवाई। उस जगह की खुदाई के दौरान उन्हें एक कलश मिला, जिसमें एक कन्या थी।राजा जनक ने उन्हें अपनी पुत्री मानकर उनका पालन-पोषण किया। राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रखा। तभी से हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी मनाई जाती है।माता सीता समाजिक समरसता की प्रतिमूर्ति थी। सभी महिलाओं को माता सीता के जीवनी से सीख लेनी चाहिए।अपना धैर्य को नहीं खोना चाहिए। हमेशा माता सीता की तरह मर्यादित होकर रहना है।कार्यक्रम में मुख्य रूप से जिला सत्संग प्रमुख संतोष सिंह,अनिता पाठक,अंकिता कुमारी,मनमती देवी,सुनैना देवी सहित अन्य मौजूद थे।