मुंशी प्रेमचंद को आत्मसात किया था कमल किशोर गोयनका ने!

डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
हिंदी शब्दो से खेलते हुए मुंशी प्रेमचंद के लगभग हर पक्ष को अपने शोधपत्र के माध्यम से जगजाहिर करने वाले डॉ॰ कमल किशोर गोयनका अब हमारे बीच नही है,उन्होंने ने हाल ही में इस दुनिया से विदाई ली है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के 40 वर्षो तक प्राध्यापक रहे कमल किशोर गोयनका ने वास्तव में मुंशी प्रेमचन्द को जिया ,तभी तो उन्हें मुंशी प्रेमचंद परंपरा का साहित्यकार माना गया हैं। मुंशी प्रेमचन्द पर उनकी अनेक पुस्तकें व लेख प्रकाशित हुए है। प्रवासी हिन्दी साहित्य को संकलित कर उनके अध्ययन व विश्लेषण में उनकी विशेष भूमिका रही है। साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित प्रेमचन्द ग्रंथावली के संकलन एवं सम्पादन में भी उनका विशेष योगदान रहा है।
उन्होंने हिन्दी में हाइकु कवितायें लिखी और हाइकु के लिए प्रसिद्ध हो गए।  उनके बेटे संजय ने बताया कि बीती नौ मार्च को उन्हें सांस लेने में तकलीफ के चलते फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वे शुरुआत में कुछ दिन से आइसीयू में रहे और इसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखा गया।लेकिन उनकी जान नही बच सकी, परन्तु अपने साहित्यिक अवदान के लिए वे सदा अमर रहेंगे।साहित्यकार कमल किशोर गोयनका की 130 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं,जिनमे विशेष रूप से मुंशी प्रेमचंद के साहित्य पर किया गया उनका काम है।वे  केंद्रीय हिंदी संस्थान, उपाध्यक्ष भी रहे हैं। उनका जीवन एक संत व एक साहित्यिक मनीषी की तरह रहा है, जीवन में उन्होंने कई साधनहीन युवाओं की पढ़ाई पूरी कराने में आर्थिक योगदान दिया।
डॉ. गोयनका ने प्रेमचंद पर पीएचडी व डी. लिट करके मुंशी प्रेमचंद पर देश में इकलौते शोधार्थी होने का गौरव हासिल किया । उन्होंने प्रेमचंद साहित्य से जुड़े हजारों पृष्ठों के लुप्त व अज्ञात साहित्य को खोजकर सहेजने का काम किया है।उन्होंने मुंशी प्रेमचंद से सम्बंधित मूल दस्तावेजों, पत्रों, डायरी, बैंक पासबुक, फोटोग्राफ, पांडुलिपियों समेत लगभग तीन हजार वस्तुओं का संग्रह किया ,जो मुंशी प्रेमचंद की हिंदी-उर्दू साहित्य सेवा का प्रतिबिंब कहा जा सकता है।
केंद्र सरकार के सहयोग से उनके द्वारा सन 1980 में ‘प्रेमचंद शताब्दी वर्ष’ में देश-विदेश में ‘प्रेमचंद प्रदर्शनी’लगाई गई। साथ ही एक फिल्म भी उनपर बनवाई गई।उन्होंने मारिशस के महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट द्वारा सन 1989,सन  1994 व सन 1996 में मुंशी प्रेमचंद पर कई विचार गोष्ठियां कराईं। 11 अक्टूबर सन 1938 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में जन्मे कमल किशोर गोयनका को उनकी साहित्य साधना के लिए वर्ष 2014 के लिए 24वें व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया ।यह पुरस्कार उन्हें उनकी पुस्तक ‘प्रेमचंद की कहानियों का कालक्रमानुसार अध्ययन’ के लिए दिया गया। डॉ. गोयनका ने हिन्दी साहित्य के बड़े साहित्यकारों में से एक मुंशी प्रेमचंद के लेखों का महत्वपूर्ण विश्लेषण किया है। मुंशी प्रेमचन्द पर उनकी अनेक पुस्तकें व लेख प्रकाशित हो चुके हैं। प्रवासी हिन्दी साहित्य को एकत्रित करने, अध्ययन एवं विश्लेषण करने में उनकी अहम भूमिका रही है। साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित ‘प्रेमचन्द ग्रंथावली’ के संकलन एवं सम्पादन में उनका विशेष योगदान है।
कमल किशोर गोयनका ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए, एमफिल, पीएचडी एवं डीलिट करने वाले दिल्ली के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से एकमात्र शोधार्थी रहे हैं। वे केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के उपाध्यक्ष भी रहे। देश-विदेश में प्रेमचंद स्कॉलर एवं प्रेमचंद विशेषज्ञ के रूप में उनकी ख्याति रही। प्रेमचंद के जीवन, विचार तथा साहित्य पर दशकों से कमल किशोर गोयनका निरंतर कार्य कर रहे थे।
हिन्दी में पहली बार प्रेमचंद की जीवनी का काल-क्रमानुसार लेखन इन्होंने ही किया। गोयनका के प्रेमचंद पर 22पुस्तकें, प्रवासी साहित्य पर 6पुस्तकें एवं तीन प्रतिनिधि संकलन, अन्य लेखकों पर 20 पुस्तकें, साढ़े तीन सौ से अधिक लेख, शोध-पत्र प्रकाशित-संपादित कर चुके हैं।
वे दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी अनुसंधान परिषद के आजीवन सदस्य रहे हैं। हिंदी अकादमी (दिल्ली), भारतीय भाषा परिषद (कोलकाता), उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी भोपाल, केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा), व्यास सम्मान, हिन्दी प्रचारिणी सभा (मॉरिशस) से पुरस्कृत-समादृत होने के साथ ही प्रेमचंद शताब्दी वर्ष 1980 से अब तक लगभग 70 से अधिक नगरों, विश्वविद्यालयों, अकादमियों, साहित्यिक संस्थाओं में वे आमंत्रित-सम्मानित किए गए थे।
उन्हें भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता का ‘नथमल भुवालका पुरस्‍कार’ ,हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा दो बार पुरस्कार,उत्तर प्रदेश हिंदी संस्‍थान लखनऊ का ‘साहित्‍य भूषण’ पुरस्‍कार, केंद्रीय हिंदी संस्‍थान, आगरा का पं. राहुल सांकृत्‍यायन पुरस्‍कार,भारत सरकार द्वारा भारतेन्‍दु हरिश्‍चन्‍द्र पुरस्‍कार , स्‍व. विष्‍णु प्रभाकर स्मृति पुरस्‍कार, आचार्य रामचन्‍द्र शुक्‍ल आलोचना पुरस्‍कार, साहित्‍य अकादमी, भोपाल द्वारा साहित्य सम्मान,अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच, कोलकाता द्वारा भावरमल सिंघी सम्‍मान तथा केके बिड़ला फाउंडेशन का व्यास सम्मान दिया गया।
कमल किशोर गोयनका से कई साहित्यिक कार्यक्रमों में मिलने,उनसे बात करने का अवसर मिला।उन्हें अधिकांश रचनाधर्मी मुंशी प्रेमचंद के अनुगामी के रूप में सम्मान देते थे।
बेहद मृदु भाषी,शालीनता के धनी कमल किशोर गोयनका को देखकर उनकी साहित्यिक धनाढ्यता का बोध होता था।(लेखक विक्रमशीला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति व स्वतंत्रता सेनानी परिवार कल्याण महापरिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता है)

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