देहरादून। राज्य आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विनय कुमार रुहेला ने शनिवार को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में सभी जनपदों के साथ ऑनलाइन बैठक कर आगामी चारधाम यात्रा और मानसून की तैयारियों की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ दिनों में चारधाम यात्रा प्रारंभ होने वाली है और दो महीने बाद मानसून सीजन प्रारंभ हो जाएगा। इसलिए यह आवश्यक है कि हर स्तर पर पुख्ता तैयारियां हों।
बैठक में विनय कुमार रुहेला ने कहा कि राज्य में एक तरफ चारधाम यात्रा प्रारंभ हो रही है, वहीं पर्यटन सीजन भी प्रारंभ हो गया है। ऐसे में विभिन्न प्रकार की आपदाओं के दौरान यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी जनपद यात्रियों की छोटी से छोटी सुविधाओं का ध्यान रखें ताकि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो और वे एक अच्छा संदेश लेकर अपने घर को लौटें।
उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भूस्खलन संभावित क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए और वहां पर साइनेज लगाकर यात्रियों को अलर्ट किया जाए। साथ ही उन स्थानों पर चौबीस घंटे जेसीबी व अन्य आवश्यक उपकरणों की तैनाती की जाए। उन्होंने कहा कि सड़कों को गड्ढामुक्त रखने की कार्यवाही अभी से प्रारंभ कर दी जाए ताकि बरसात के दौरान इनमें जलभराव के चलते हादसे न हों।
इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि सभी जनपद एनडीएमआईएस पोर्टल में जल्द से जल्द सभी सूचनाओं को अपलोड करना सुनिश्चित करें ताकि केंद्र सरकार से पैसा मिलने में किसी प्रकार की अड़चन न आए।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि आपदा कार्यों के लिए धन की कमी नहीं, तुरंत जारी करें। जहां हो जरूरत, वहीं सेटेलाइट फोन रखे जाएं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक सैन्य बाहुल्य प्रदेश है और सभी सैनिक हमारे राज्य का बहुत बड़ा एसेट हैं। उन्होंने कहा कि आपदा का प्रभावी तरीके से सामन करने में भूतपूर्व सैनिकों की बड़ी भूमिका हो सकती है। उनके अनुभवों का लाभ उठाने के लिए यह जरूरी है कि सभी जनपद पूर्व सैनिकों का डेटाबेस बनाएं और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उनके विशेषज्ञता का इस्तेमाल करें।
यात्रियों के भोजन की समुचित व्यवस्था की जाए
इस दौरान सचिव ने कहा कि चार धाम यात्रा के दौरान यदि मार्ग अवरुद्ध होने के कारण यात्रियों को रोकना पड़ता है तो उनके खाने-पीने की समुचित व्यवस्था स्थानीय प्रशासन की ओर से की जाए। यात्रियों को रोकने की स्थिति में कोई भी यात्री भूखा ना रहे। छोटे बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था भी की जाए। उन्होंने कहा कि यदि किसी कारण रूट डायवर्ट करना पड़ता है तो इसके लिए स्पष्ट संकेतक लगाए जाएं और परिवर्तित मार्ग में दोराहे, तिराहे अथवा चौराहों पर भी संकेतक लगाए जाएं ताकि यात्री आंतरिक मार्गों में भटकें नहीं।
भ्रामक सूचनाएं प्रसारित करने वालों के खिलाफ दर्ज करवाएं एफआईआर
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि मानसून के दौरान अक्सर कुछ शरारती तत्व भ्रामक सूचनाओं और आपदा के फर्जी वीडियो प्रसारित करते हैं और आम नागरिकों के मन में इससे भय व्याप्त होता है। उन्होंने सभी जनपदों से कहा कि भ्रामक व फर्जी सूचनाएं प्रसारित करने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए।
विनोद कुमार सुमन ने कहा कि आपदा प्रभावितों के लिए राहत शिविरों के लिए स्थान अभी से चिह्नित करते हुए वहां की व्यवस्थाओं का खाका अभी से खींच लिया जाए। राहत शिविरों में बिजली, पानी, भोजन, चिकित्सा आदि अन्य व्यवस्थाएं कहां से होंगी, इसकी तैयारी अभी से कर ली जाए। एसडीआरएफ और एसडीएमएफ मद में धनराशि की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि आपदा संबंधी कार्यों के लिए जनपदों को जितनी भी धनराशि की आवश्यकता होगी वह उन्हें तत्काल मुखिया कराई जाए।
सभी एलर्ट पर आवश्यक कार्यवाही की जाए सुनिश्चित
अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी ने कहा कि राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से जो भी चेतावनियां जनपदों को भेजी जाती हैं, उन पर प्रभावी कदम उठाए जाएं ताकि किसी भी आपदा का प्रभावी तरीके से सामना किया जा सके। उन्होंने कहा कि विभिन्न सड़कों का वर्गीकरण किया जाना भी आवश्यक है ताकि यह भ्रम ना रहे कि कौन सी सड़क किस विभाग के अंतर्गत है।
इस अवसर पर अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, वित्त नियंत्रक अभिषेक कुमार आनंद, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राकेश मोहन खंकरियाल, विशेषज्ञ रोहित कुमार, डॉ. वेदिका पन्त, डॉ. पूजा राणा, हेमंत बिष्ट, तंद्रिला सरकार आदि मौजूद थे।