डीएवी पब्लिक स्कूल रजरप्पा में महात्मा हंसराज की 161वीं जयंती मनाई गई

सीसीएलरजरप्पा स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल रजरप्पा में महात्मा हंसराज की 161वीं जयंती मनाई गई । वे डीएवी आंदोलन के महानायक, देशभक्त, सत्य–अहिंसा के पुजारी, डीएवी कॉलेज के प्रथम प्राचार्य एवं दयानंद सरस्वती के अनुयायी थे । सर्वप्रथम विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक श्री मनोज कुमार, श्री गजेन्द्र कुमार, समस्त शिक्षक एवं प्रत्येक कक्षा के बालक व बालिका मॉनिटर ने महात्मा हंसराज जी की तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए । महात्मा जी के सम्मान में विद्यालय प्रांगण में हवन कार्य संपन्न हुआ । इस अवसर पर विद्यालय प्रार्थना सभा में कक्षा नवीं की छात्रा माधुरी ने हिंदी में तथा अंग्रेज़ी में जैसलीन कौर ने उनके जीवन परिचय तथा उनके आदर्शों पर प्रकाश डाला । कार्यक्रम के दौरान आठवीं की छात्राओं ने सामूहिक भजन तथा विद्यालय के धर्म शिक्षक श्री सत्यकाम आर्य ने महात्मा जी की जीवनी से संबंधित एक भजन प्रस्तुत किया जिससे सभी भाव– विभोर हो उठे। सी०सी०ए० के अंतर्गत अंतर्सदनीय शतरंज प्रतियोगिता आयोजित हुईं जिसमें छात्र–छात्राओं ने अपने कौशल का परिचय दिया। विद्यालय के प्राचार्य श्री एस० के० शर्मा ने अपने संदेश में कहा कि महात्मा हंसराज का जन्म 19 अप्रैल 1864 को हुआ था । उनके जन्मोत्सव के समय भारत में ब्रिटिश शासन था। देश के कोने–कोने में असंख्य समस्याएँ थीं । वे डीएवी आंदोलन के सर्वश्रेष्ठ नेता थे । स्वामी दयानंद सरस्वती के सच्चे अनुयायी थे । वे उनके सपनों को साकार रूप देना चाहते थे । इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए महात्मा हंसराज जी ने 1 जून 1886 में लाहौर में आरंभ किए गए स्कूल और कॉलेज के प्रथम प्राचार्य थे । उन्होंने 25 वर्षों तक अवैतनिक सेवा दी । अंत में उन्होंने अपने संदेश में कहा कि आज हमारे समाज और देश में महात्मा हंसराज जैसे व्यक्तित्व की बहुत आवश्यकता है । प्राचार्य ने सभी शिक्षकों और बच्चों को हंसराज जी के आदर्शों पर चलकर समाज और देश की सेवा करने की अपील की । कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के वरीय संस्कृत शिक्षक श्री रामेश्वर शर्मा ने किया।

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