कोयलांचल स्थित सरस्वती विद्या मंदिर रजरप्पा में विद्या भारती के योजना के अनुसार नवीन शैक्षणिक सत्र के आरंभ से पूर्व आचार्यों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ विद्यालय के प्राचार्य उमेश प्रसाद के द्वारा दीप प्रज्वलन करके किया गया।कार्यशाला में प्राचार्य उमेश प्रसाद अपने संबोधन में कहा- शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर परिवर्तन हो रहे हैं और हमें समय-समय पर नवीन तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है। यह कार्यशाला हमारे शिक्षकों को नवाचारों से परिचित कराएगी और शिक्षण प्रक्रिया को और प्रभावी बनाएगी।
इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण विधियों, नई पाठ्यचर्या, और कक्षा प्रबंधन तकनीकों से अवगत कराना था, जिससे वे छात्रों को और अधिक प्रभावी तरीके से शिक्षित कर सकें साथ ही अगले सत्र की शैक्षणिक गतिविधियां एवं अन्यान्य कार्यों को लेकर आचार्य कार्यशाला का आयोजन किया गया।आचार्य भारती का गठन, दिवसाधिकारी का निर्धारण तथा सभी के दायित्वों पर चर्चा की गई। इसके अलावे शुन्य कालांश में प्रतिदिन के विषयों पर चर्चा तथा सभी का अभ्यास कराया गया। ‘एकात्मता-स्तोत्र’ में वर्णित महापुरुषों, देवियों की चर्चा की गई। इस कार्यशाला में विद्यालय के समस्त प्रकार की पंजियों ,संचिकाओं एवं अभिलेखों आदि को व्यवस्थित किया गया।
इस कार्यशाला में आचार्य अनिल कुमार त्रिपाठी, अमरदीप नाथ शाहदेव,शम्मी राज,अमरदीप,दुर्गा प्रसाद,चितरंजन लाल खन्ना,डॉ गायत्री पाठक,पूनम सिंह,अमृता चौधरी, ललिता गिरी आदि उपस्थित थे।