भारत सनातन संस्कृति से ही भविष्य में बनेगा विश्वगुरु

सनातन संस्कृति पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया उद्घाटन
हरिद्वार। सनातन संस्कृति पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी शनिवार से शुरू हो गई। देवभूमि विकास संस्थान और देव संस्कृति विश्व विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी का उद्घाटन केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में भारत ट्रांसफार्मेशन के दौर से गुजर रहा है। सनातन संस्कृति से ही भारत के विश्वगुरु बनने का मार्ग प्रशस्त होगा।
संस्कृति मंत्री ने कहा कि दुनिया में सनातन संस्कृति सबसे पुरातन है। हमारी संस्कृति को समाप्त करने के कई प्रयास हुए, लेकिन इसका अस्तित्व कायम है। इसकी वजह, भारतीय संस्कृति की वो विशेषता है, जिसमें आत्मीयता और विश्व बंधुत्व की भावना कूट कूट कर भरी हुई है। अन्य संस्कृतियों में आक्रमण की भावना रही। क्रूरता करने वाले उनके नायक रहे, लेकिन सनातन संस्कृति में दूसरे के हितों के लिए त्याग करने वाले नायक बने। उन्होंने कहा कि दुनिया में जब सभ्यता का विकास हो रहा था और जीवन का संघर्ष चल रहा था, उस वक्त भारत में वेद ऋचाओं की रचना हो रही थी। समझा जा सकता है कि भारतीय सनातन संस्कृति का अतीत कितना गौरवशाली और स्वर्णिम रहा है।
शेखावत ने कहा कि भारत में सांस्कृतिक जागरण चल रहा है। अयोध्या में 500 वर्षों के बाद श्रीराम के मंदिर का निर्माण होना सौभाग्य है। भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण पर पूरी दुनिया की नजर है। ऐसे में ये हम सब के लिए महत्वपूर्ण अवसर है कि हम सनातन संस्कृति के पक्ष में अपनी भूमिका का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत सनातन संस्कृति के मूल मंत्र विश्व बंधुत्व पर कार्य कर रहा है। दुनिया के देशों के बीच तनाव भी सनातन संस्कृति के अनुपालन से ही समाप्त होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सनातन संस्कृति पर कार्यक्रम के मुख्य आयोजक के तौर पर कहा कि देवभूमि विकास संस्थान समाज में जागृति के लिए विभिन्न विषयों को लेकर सामाजिक कार्य कर रहा है। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षा के साथ ही रक्तदान के बाद अब समाज को अंगदान-देहदान के लिए प्रेरित करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम सनातनी हैं और भारतीय संस्कृति के ज्ञान को नई पीढ़ी को प्रसारित करने की हमारी जिम्मेदारी है। हमारी कोशिश होती है कि इस तरह के कार्यक्रम में युवाओं की भागीदारी ज्यादा हो। क्योंकि सनातन संस्कृति को आगे ले जाने और नया भारत बनाने की जिम्मेदारी अब आगे युवा पीढ़ी के कंधों पर ही है। त्रिवेंद्र ने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति कभी भी किसी से भेदभाव नहीं करती। वसुधैव कुंटम्कम का मंत्र भी भारत ने ही दुनिया को दिया।
सामाजिक सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हंस फाउंडेशन की संस्थापिका माता मंगला जी ने कहा कि सनातन संस्कृति में नारी शक्ति को बहुत ऊंचा सम्मान दिया गया है। हम नौ दुर्गा का आराध्य करते हैं। हम अपने को भाग्यशाली समझते हैं कि आदि शक्ति के रूप में नारी ने महान पुरुषों को जन्म देकर हमें महान बनाया है। उन्होंने बताया कि हंस फाउंडेशन शिक्षा, स्वास्थ्य और बालिकाओं को आगे बढाने के सामाजिक कार्य में सेवा दे रहा है। आज फाउंडेशन देश के 28 राज्यों में सेवाभाव से कार्य कर देश को विकसित करने में सहयोग दे रहा है।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति चिन्मय पांड्या ने सनातन संस्कृति को लेकर आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को भारत के भविष्य को संवारने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह भारत के जागरण की घड़ी का निर्णायक क्षण है। यह समय भारत के सांस्कृतिक वैभव, स्वाभिमान, अस्मिता का है। भारत की संस्कृति अजर और अमर है। भारत की भूमि से पूरी दुनिया में एक ही आवाज जानी चाहिए, कि सदभाव और मानवता का संदेश केवल एक ही संस्कृति दे सकती है वह भारत की सनातन संस्कृति है। सनातन संस्कृति कभी भी आक्रमण और आंतक की आवाज नहीं रही। बल्कि सनातन आत्मीयता और अपनत्व का संदेश देती है। भारत की सनातन संस्कृति में नरक को स्वर्ग बनाने की शक्ति है।
इससे पहले केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, विवि के कुलपति, प्रति कुलपति समेत अन्य ने दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर विधायक हरिद्वार मदन कौशिक, मेयर किरन जैसल, कुलपति शरद, हंस फाउडेंशन के संस्थापक भोले जी महाराज आदि मौजूद रहे। केंद्रीय मंत्री शेखावत और सांसद त्रिवेंद्र ने विवि परिसर में स्थित शौर्य दीवार पर शहीद जवानों को नमन किया और पौधरोपण किया। केंद्रीय मंत्री शेखावत ने संस्कृति, प्रकृति और प्रगति शीर्षक पुस्तक का विमोचन भी किया।
संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में भारतीय संस्कृति का परिचय सत्र की अध्यक्षता दून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने की। मुख्य वक्ता के तौर पर प्रोफेसर प्रवीन चतुर्वेदी ने विचार रखे। इसके पश्चात स्वास्थ्य यौर मानसिक शांति सत्र की अध्यक्षता स्वामी राम हिमालयन विवि के कुलपति डा.विजय धस्माना ने की। मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर लक्ष्मी दर बेहरा, उर्फ लीला पुरुषोत्तम दास, निदेशक आईआईटी मंडी और प्रोफेसर मैक्ग्रेगर लिननौर उर्फ सर्वादिक दास ने विचार रखे। तीसरे सत्र आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए कार्य योजना विषय की अध्यक्षता कुलपति गोविंद पंत कृषि विवि के कुलपति प्रो.मनमोहन चौहान ने की। मुख्य वक्ता के तौर पर प्रो.रोवींद्रनाथ सचदेव ने विचार रखे।

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