देहरादून। भारत की राजनीति के इतिहास के शीर्ष नेताओं में से एक स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा की पुण्यतिथि के अवसर पर आज उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई औरआजादी से पहले देश देश की जंगे आजादी की लड़ाई में उनके प्रीतम योगदान और उसके बाद लोकतंत्र को बचाने में उनके ऐतिहासिक भूमिका को देखते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की गई।
उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री व स्वर्गीय बहुगुणा के शिष्य धीरेंद्र प्रताप के संयोजन में इस मौके पर उनके पुराने साथियों और शागिर्दों ने उन्हें वर्टिकल बैठक के माध्यम से याद किया ।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट जैड के फैजान ने उन्हें जंगे आजादी की लड़ाई का जहां जांबाज नेता बताया वहीं आजादी की बाद की राजनीति को भी एक नई दिशा देने में और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने में उनके व्यक्तित्व को बेमिसाल बताया।
फरीदाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉक्टर लुकमान ने उन्हें देश के सबसे विद्वान नेताओं में से एक बताया जिनकी देश की जनता पर गहरी पकड़ थी। गढ़वाल विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष योगेंद्र खंडूरी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व पार्षद रहे जाने-माने पत्रकार सुनील नेगी बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे के के मनन एडवोकेट प्रसिद्ध व्यवसायी देवेंद्र शर्मा प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा मुजफ्फरनगर के जुझारू सोशल एक्टिविस्ट और स्वर्गीय बहुगुणा के शिष्य योगेंद्र शर्मा पूर्व सांसद तारीफ सिंह किसान यूनियन के प्रवक्ता युद्धवीर सिंह और भारत की संसद में कभी लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संसदीय दल के नेता नील लोहित दास नाडर अपने भी समय के विख्यात सांसद हरिकेश बहादुर ने स्वर्गीय बहुगुणा को याद किया और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से करोड़ों लोगों को प्रेरणा मिलने की बात कही ।
हरिकेश बहादुर ने कहा स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा का धनी था जब वह भाषण किया करते थे तो विचारों की अविरल गंगा बहती थी एक-एक शब्द क्रांति से भरे होते थे या तो वे देश की आजादी के लिए गरज रहे होते थे या देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपनी वाणी से करोड़ों लोगों को संगठित कर रहे होते थे वह गरीबों मजलूमों अल्पसंख्यकों की बहुत बड़ी आवाज थे।
सुनील नेगी ने उन्हें हिमालय का चंदन हेमवती नंदन कहा और कहा उन्होंने लोकतंत्र को बचाने और उससे पहले आजादी की अलख जगाने में उनके योगदान को सराहनीय और ऐतिहासिक बताया । धीरेंद्र प्रताप ने आज के परिपेक्ष में प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा पर दहाड़े मारकर रोने पर इसे राजनीतिक पृष्ठभूमि के नेताओं के लिए एक शर्मनाक घटना बताया और कहा कि स्वर्गीय हेमती नंदन बहुगुणा जैसे गढ़वाल के रहने वाले प्रेमचंद अग्रवाल ने जिस तरह से शूरवीरों की धरती को कलंकित किया और फिर छोटे से मंत्री पद के लिए दहाड़े मार कर रोने लगे शर्म आती है कि वह अपने को उत्तराखंडी कहते हैं। एक और शूरवीरो को की धरती को बदनाम करते हैं शौर्य गाथा लिखने वाले वीर चंद्र सिंह गढ़वाली गोविंद बल्लभ पंत विपिन रावत डॉक्टर पितांबर दत्त बडथवाल, वीर गबर सिंह बिष्ट जैसे लोगों की धरती को बदनाम करते हैं और जिस धरती ने हेमवती नंदन बहुगुणा जैसा वीर पैदा हुआ किया हो जिसने बड़े-बड़े पदों से इस्तीफा दिया और अपने शौर्य से अपने आत्म बल से केंद्र की सरकारों तक को बदल डाला उस धरती का नाम उन्होंने बदनाम किया। उन्होंने कहा ऐसे समय में देश के लोगों को और खास तौर पर उत्तराखंड के लोगों को स्वर्गीय बहुगुणा के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए कि वह किस तरह से आत्म बल के दम पर अपने पोरुष के दम पर एक छोटे से गांव से उठकर देश की राजनीति में छा गए और केवल प्रधानमंत्री का पद उनसे अछूता रहा।
इस मौके पर भारत सरकार से स्वर्गीय बहुगुणा को लोकतंत्र बचाने के उनके प्रयासों और उससे पहले आजादी की लड़ाई में उनके महान योगदान को देखते हुए धीरेंद्र प्रताप के प्रस्ताव पर उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की गई।
यह कहा गया कि जहां उन्होंने एक बार आजादी से पहले ₹10000 जिंदा या मुर्दा का इनाम अपने नाम लिखवा कर आजादी के संघर्ष को नए आयाम दिए वहीं जब देश में लोकतंत्र का एक बार दीपक बुझता नजर आ रहा था सत्ता में बैठे लोग गलतियां कर रहे थे हेमती नंदन बहुगुणा ने आगे बढ़कर लोकतंत्र की मशाल को जलाए रखा । इस प्रस्ताव को सर्व समिति से पास किया गया और 2 मिनट उनकी याद में मौन रखकर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।