पलाश के फूलों से बने रंगों से खेले होली :- गौतम महतो

पलाश के पेड़ व फूलों में छुपा है कई औषधीय : गौतम महतो

झारखण्ड की ग्रामीण महिलाएं पलास के फुल से सखी मंडल के जरिए आजीविका से जुड़कर सशक्त व आत्मनिर्भर बन रही हैं

गोला(रामगढ़):झारखंड प्रदेश को प्राकृतिक ने प्रदेश को कई नायाब के तोहफा से सजाया और सावरा है। इन्हीं में से एक पलाश पुष्प भी शामिल है। राधा गोविन्द विश्वविद्यालय रामगढ़ के शोध छात्र गौतम कुमार महतो ने कहे कि राजकीय पुष्प का दर्जा प्राप्त पलास का फुल। केवल अपने नैसर्गिक सुंदरता बल्कि अपने औषधि के गुना और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। झारखंड के से जंगलों में इन दोनों पलाश के फूल की अद्भुत आभा से पूरे प्रदेश दमक रही है। बसंत ऋतु के आगमन का संदेश देता है साथ ही पलास के पेड़ जंगलों के अन्य पेड़ सुख कर नीरस हो जाते हैं। तब पलास के गाढ़े केसरिया और सिंदूर लाल रंग के फूल प्राकृतिक में नई जीवंत का संचार करते हैं। पलाश फूलों की चमक व आभा ना ही जंगल की शोभा बढ़ाती है। बल्कि या होली के आगमन का संकेत भी देता है। ग्रामीणों द्वारा फूलों का उपयोग कर प्राकृतिक रंग बनाने के लिए भी किया जाता है प्राकृतिक रूप से बनाए गए रंग की खासियत यह होती है कि यह रंग जब एक बार कपड़ों में लग जाए तो कपड़ा फटने तक रंग लगा रहता है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी पलाश के फूलों से बना रंगों से ही होली खेला करते हैं। प्राकृतिक रंगों से होली खेलने से जहां शरीर को किसी भी तरह के नुकसान नहीं होती है। वहीं दूसरी और बाजार में बिकने वाले केमिकल युक्त रंगों से शरीर व चेहरे को कई तरह के नुकसान होती है। झारखंड की आज कैसे राज्य हैं जहां आदिवासी समाज के लोग पलाश के फूलों से बने रंगों से ही होली के रंगों में सराबोर होना चाहते हैं। झारखंड प्रदेश प्राकृतिक के कई औषधीय गुणों से भरा पड़ा है। शहरों की विकास होने के कारण प्राकृतिक का जिस तरह से दोहन हो रही है। जिस कारण पलाश के फूलों का सौंदर्य लगभग लुप्त होता जा रहा है। प्राकृतिक की संरक्षित करने की आवश्यकता है। ताकि जंगलों में भरे कई औषधीय पेड़ों को बचाया जा सके। जानकारों का मन तो पलाश के पेड़ व फूल आयुर्वेदिक दुनिया में अपनी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

पलाश के फूल को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. इसे परसा, ढाक, टेसू, किशक, सुपका, ब्रह्मवृक्ष और फ्लेम ऑफ फोरेस्ट जैसे शब्दों से पहचाना जाता है. पलाश उत्तर प्रदेश का राजकीय फूल भी है. इस फूल के हर हिस्से से किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.

पलास फुल से झारखण्ड की ग्रामीण महिलाएं सखी मंडल के जरिए आजीविका से जुड़कर सशक्त व आत्मनिर्भर बन रही हैं। गोला प्रखण्ड के हारुबेरा की रहने वाली ज्योति कुशवाहा झारखण्ड प्रदेश में सभी जिला में जा के महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भर बन रही है।

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