भारत विविधताओं का देश, जो लोगों को आश्चर्यचकित करता है: डॉ. एस. जयशंकर

विदेश मंत्री ने 45 देशों के राजदूत और डिप्लोमेट्स के साथ काशी तमिल संगमम में किया संवाद

सवालों का ज्ञानवर्धक दिया जबाब

वाराणसी। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है, जो अक्सर लोगों को आश्चर्यचकित करता है कि इतनी सारी भाषाओं, परंपराओं और मान्यताओं के बावजूद यह देश कैसे एक साथ बना हुआ है। यह विविधता और इसमें अंतर्निहित एकता सभी भारतीयों को एक राष्ट्र के रूप में एकजुट रखती है। विदेश मंत्री रविवार को काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण में तमिलनाडु से आए प्रतिनिधियों और विदेशी राजनयिकों के साथ संवाद कर रहे थे।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में ’परंपरा, प्रौद्योगिकी और विश्व, विषय पर आयोजित अकादमिक सत्र में विदेश मंत्री ने तमिल भाषा में वणक्कम काशी कहकर प्रतिनिधियों का स्वागत किया। काशी की प्राचीनता और आध्यात्मिकता का जिक्र कर विदेश मंत्री ने कहा कि काशी-तमिल संगमम काशी और तमिलनाडु के बीच विशेष सदियों पुराने जुड़ाव का उत्सव है। प्राचीन नगरी काशी दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है। पूरे भारत के लिए काशी एक तरह से सांस्कृतिक चुंबक की तरह है। जिससे देश के सभी हिस्सों के लोग गहराई से जुड़ते हैं।

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के लोगों का काशी से विशेष लगाव है और काशी तमिल संगमम इसी अनूठे बंधन का उत्सव है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी-तमिल संगमम आयोजित करने का जब फैसला किया था, तो इसका उद्देश्य यह था कि भारत संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का संगम बने। उन्होंने विदेशी राजनयिकों से संवाद करते हुए बताया कि काशी तमिल संगमम इस विविधता में एकता के उत्सव का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है, जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल्पना की थी। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की गौरवशाली विरासत का जश्न मनाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी तरह हम इसे आने वाली पीढ़ियों तक ले जाते हैं। साथ ही दुनिया को भारत के सुनहरे अतीत और जड़ों की महानता के बारे में बताते हैं। इस संबंध में प्रयासों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृतियों को मनाने से उन्हें तरोताजा किया जाता है और भारत सरकार इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।

प्रतिनिधियों के सवालों का जबाब दिया

विदेश मंत्री ने तमिल प्रतिनिधि राजगोपालन के एक प्रश्न का उत्तर भी दिया। प्रतिनिधि ने पूछा कि काशी में इस विशेष उत्सव के अवसर पर विदेश मंत्री किन प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डालना चाहेंगे। डॉ. जयशंकर ने कहा कि परंपरा प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में मदद करती है और यहीं पर भारतीय ज्ञान प्रणाली सामने आती है। उन्होंने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालय ड्रोन प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उन्नत वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं और उम्मीद है कि भविष्य में संस्थान कई और आशाजनक उपक्रम लेकर आएंगे। मंत्री एक तमिल प्रतिनिधि रूथ्रन के प्रश्न का उत्तर दे रहे थे, जिन्होंने उल्लेख किया कि भारत अतीत में एक प्रौद्योगिकी नेता रहा है और इनमें से कई तकनीकों को भारत से दुनिया के साथ साझा किया गया था।

उन्होंने जानना चाहा कि क्या इस संबंध में अध्ययन करने की कोई योजना है। एक अन्य तमिल प्रतिनिधि राजेश कुमार ने पूछा कि भाषा, विश्वास और परंपराओं में इसकी अपार विविधता के मद्देनजर राजदूत भारत को कैसे देखते हैं। सोमालिया के राजदूत ने जवाब दिया कि एकरूपता समाधान नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे चीजों को देखने के विभिन्न तरीकों वाले एक अरब लोग सद्भाव में सह-अस्तित्व में रह सकते हैं। अफ्रीका में संघर्षों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि भारत की समृद्ध और विविध संस्कृति देश को एक राष्ट्र के रूप में एकजुट करती है, जहां लोग विनम्रता के साथ एक-दूसरे का सम्मान और देखभाल करते हुए मूल्यों को साझा करते हैं। गौरतलब हो कि काशी तमिल संगमम के इस अकादमिक सत्र में 45 देशों के राजदूत और डिप्लोमेट्स ने भी भाग लिया।

भारत दुनिया को सह-अस्तित्व और एकजुटता का दिखाता है मार्ग

संवाद में संदेश दिया गया कि भारत दुनिया को सह-अस्तित्व और एकजुटता का मार्ग दिखाता है। विदेशी राजनयिकों ने भी तमिल संगमम में शामिल होकर खुशी जाहिर की। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और दुनिया भर के 45 राजदूतों के साथ तमिल प्रतिनिधियों के बीच एक ज्ञानवर्धक बातचीत हुई। काशी तमिल संगमम 3.0 के हिस्से के रूप में सत्र ने वैश्विक प्रतिनिधियों को न केवल काशी और कांची की दो महान संस्कृतियों के संगम को करीब से देखने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया, बल्कि नई दिल्ली के भूगोल से परे भारत के बारे में अपनी समझ को भी गहरा किया। इरीट्रिया के राजनयिक ने काशी की यात्रा करने और दो महान संस्कृतियों के एकीकरण को देखने के विशेष अवसर की सराहना की। उन्होंने अपने भारतीय शिक्षकों को याद किया जो भारत की संस्कृति, इसके लोगों और इसकी विरासत के बारे में बताते थे। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों के बीच के बंधन को स्वीकार किया जो उन्हें एक बनाता है।

इसी तरह रवांडा के उप उच्चायुक्त ने कहा कि भारतीयों द्वारा महसूस की जाने वाली एकजुटता कुछ ऐसी चीज है जिससे दुनिया भर के लोगों को सबक लेना चाहिए। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हो रहे युद्धों और संघर्षों के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीयों द्वारा अपनाई गई सद्भावना अनुकरणीय है। आइसलैंड के राजदूत ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की विविधता इसकी ताकत है जो इसके साझा मूल्यों और संस्कृति में परिलक्षित होती है। जमैका के उच्चायुक्त ने इस बात पर ध्यान देते हुए कि इस वर्ष जमैका में भारतीयों के आगमन का 108वां वर्ष है। भारत और जमैका के लोगों के बारे में कई अनकही कहानियाँ हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को संघर्ष और सफलता की इन कहानियों को उजागर करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए ।

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