• दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेशनल टेंपल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो (आईटीसीएक्स) 2025 ने मंदिर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और सनातन धर्म की शक्ति को एकजुट करने का नया अध्याय रचा
• पहली बार ‘मंदिरों के महाकुंभ’ में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गोवा के मुख्यमंत्री एक साथ मंच पर आए।
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आयोजन को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का सच्चा उदाहरण बताते हुए शुभकामनाएँ दीं।
• आरएसएस के परमपूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने वर्चुअल संदेश के माध्यम से आईटीसीएक्स 2025 की तारीफ की और इसे विश्वभर के मंदिरों को जोड़ने वाली ऐतिहासिक पहल बताया
• इस मंच को विश्व हिंदू परिषद के महासचिव श्री मिलिंद परांडे, भाजपा तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष श्री के. अन्नामलाई, गोवा के पर्यटन मंत्री श्री रोहन खाउंटे, महाराष्ट्र के तकनीकी और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री श्री आशीष शेलार और आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री श्री नारा लोकेश का भी समर्थन मिला
तिरुपति।आध्यात्मिक नगरी तिरुपति में आयोजित इंटरनेशनल टेम्पल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो (आईटीसीएक्स) 2025 ने भारत के सबसे बड़े और प्रभावशाली मंदिर प्रबंधन सम्मेलन के रूप में अपनी विशेष पहचान बनाई। इस अनूठे आयोजन में देशभर के 1500 से अधिक मंदिरों, प्रतिष्ठित राजनीतिक नेताओं और हिंदू, सिख, बौद्ध व जैन धर्म के पूजनीय धर्मगुरुओं ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
*माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ विज़न को मजबूती देते हुए, यह आयोजन एक अहम् मंच के रूप में सिद्ध हुआ,* जहाँ मंदिरों के प्रबंधन, स्थायी विकास और तकनीकी समावेशन को नई दिशा मिली। सनातन धर्म की शाश्वत मान्यताओं को और मजबूत करते हुए, यहाँ मंदिरों की स्वायत्तता, स्मार्ट टेंपल मिशन और वैश्विक श्रेष्ठ प्रथाओं पर गहन मंथन हुआ। इस भव्य आयोजन के माध्यम से, आईटीसीएक्स 2025 ने यह साबित कर दिया कि मंदिर सिर्फ आस्था के केंद्र नहीं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रगति के सशक्त मंच भी हैं।
आईटीसीएक्स और टेम्पल कनेक्ट के संस्थापक गिरीश कुलकर्णी और आईटीसीएक्स अध्यक्ष एवं महाराष्ट्र विधान परिषद के मुख्य सचेतक प्रसाद लाड की परिकल्पना से जन्मा यह मंच मंदिर नेतृत्व को एक नई दिशा देने में अहम् भूमिका निभा रहा है। हिंदू समाज के शक्ति केंद्र के रूप में मंदिरों की पुनर्रचना का यह प्रयास अब एक व्यापक आंदोलन बन चुका है। भारत की मंदिर अर्थव्यवस्था, जो 4-5 लाख करोड़ रुपए के मूल्य की है और किसी भी बड़े वैश्विक उद्योग के बराबर मानी जाती है, को लेकर हुई चर्चाओं में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि मंदिरों को पेशेवर संस्थानों की तरह संचालित किया जाए, ताकि आम श्रद्धालु द्वारा दिए गए दान का उपयोग चिकित्सा सहायता, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और लंगरों के माध्यम से बड़े पैमाने पर सामुदायिक कल्याण में किया जा सके। मात्र अपने दूसरे संस्करण में ही आईटीसीएक्स ने मंदिर प्रबंधन के क्षेत्र में एक क्राँतिकारी भूमिका स्थापित कर ली है।
*माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना पत्र में कहा, “* आईटीसीएक्स मंदिरों की वैश्विक एकता का प्रतीक है और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के रूप में पूरी पृथ्वी को एक परिवार के रूप में देखने की भावना की वास्तविक अभिव्यक्ति भी है। 21वीं सदी ज्ञान-आधारित समाजों की सदी है, और इस दृष्टि से टेम्पल कनेक्ट द्वारा मंदिरों की धरोहर को प्रलेखित, डिजिटाइज़ और साझा करने का प्रयास और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।”
आईटीसीएक्स 2025 के पहले दिन तीन मुख्यमंत्री, यानि महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस, आंध्र प्रदेश के एन. चंद्रबाबू नायडू और गोवा के प्रमोद सावंत पहली बार एक मंच पर आए। उनके साथ केंद्रीय मंत्री एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक भी उपस्थित रहे। दूसरे दिन बीजेपी तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष श्री के. अन्नामलाई और विश्व हिंदू परिषद के महासचिव श्री मिलिंद परांडे ने हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के विचार को मजबूती दी। समापन सत्र के दौरान आंध्र प्रदेश के मानव संसाधन विकास मंत्री नारा लोकेश ने कहा, “अब समय आ गया है कि हम आईटीसीएक्स जैसे वैश्विक स्तर के सम्मेलन को एक साथ मिलकर और भी अधिक व्यापक बनाएँ, जहाँ विचारों का आदान-प्रदान और श्रेष्ठ परंपराओं पर विमर्श हो। हम ऐसे दौर में हैं, जहाँ स्पाइडरमैन, सुपरमैन और एवेंजर्स की चर्चा होती है, लेकिन हमें अपनी संस्कृति को भी बचाना होगा, क्योंकि यही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।”
इस भव्य आयोजन ने विभिन्न पीढ़ियों एवं क्षेत्रों के विचारकों, आध्यात्मिक विभूतियों और समाज में बदलाव लाने वाले व्यक्तित्वों को एकजुट किया, जो अपने-अपने मंदिर पारिस्थितिकी तंत्र में सामाजिक और आर्थिक सुधारों के प्रति समर्पित हैं।
महाराष्ट्र से मंदिर पारिस्थितिकी तंत्र के विशेषज्ञ, वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में रह रहे श्री किरण शिंदे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आधिकारिक जीवनी लिखने वाले श्री शांतनु गुप्ता जैसे विद्वानों ने मंदिर शासन और सांस्कृतिक पुनर्जागरण पर महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। सी.आर. मुकुंद और लेखिका अमी गणात्रा ने ऐतिहासिक संदर्भों को समकालीन परिप्रेक्ष्य से जोड़ते हुए संवाद को और समृद्ध बनाया। इस बहु-पीढ़ीगत और अखिल भारतीय संगोष्ठी ने आईटीसीएक्स की भूमिका को ‘मंदिरों के महाकुंभ’ के रूप में स्थापित किया, जहाँ विचार-विमर्श, ज्ञान-विनिमय और मंदिर पारिस्थितिकी तंत्र के भविष्य के लिए एकीकृत दृष्टि विकसित की गई। हम्पी के श्री विद्यारण्य भारती स्वामीजी और कोविलूर मठ के 14वें पीठाधिपति श्री ला श्री नारायण देशिका स्वामिगल के दिव्य ज्ञान ने भी उपस्थित जनसमूह को गहराई से प्रभावित किया।
दुनिया के सबसे बड़े मंदिर प्रबंधन आयोजन में नेताओं के विचार:
*आईटीसीएक्स के अध्यक्ष और महाराष्ट्र विधान परिषद के मुख्य सचेतक श्री प्रसाद लाड ने शास्त्रों का उद्धरण देते हुए कहा,* “धर्मो रक्षति रक्षितः। यदि हम धर्म की रक्षा करेंगे, तो धर्म भी हमारी रक्षा करेगा। सनातन धर्म की विशेषता यही है कि यह सिर्फ पूजा-पद्धति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कर्तव्य, सत्य और सेवा का प्रतीक भी है। भारत को 2047 तक एक विकसित, सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, यदि मंदिरों और धार्मिक स्थलों की अर्थव्यवस्था को देश की मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़ा जाए, तो यह राष्ट्र-निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वर्तमान समय में सनातनी होने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मैं टेंपल कनेक्ट पहल की पूरी टीम को बधाई देना चाहता हूँ, जो मंदिरों को अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सहायक बन रही है। एक अध्ययन के अनुसार, 55% नागरिक आध्यात्मिक पर्यटन को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह जरुरी है कि मंदिर सिर्फ पूजा स्थल नहीं, बल्कि समानता और सामुदायिक एकता के केंद्र भी बनें। आईटीसीएक्स अब एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है, जो सनातन धर्म को नई दिशा प्रदान करेगा।”
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने मंदिरों के दान प्रबंधन की पारदर्शिता पर बल देते हुए कहा, “सभी भक्त किसी न किसी उद्देश्य के लिए दान देते हैं, और यह दान उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप व्यय होना चाहिए। हमारा लक्ष्य है कि हर राज्य और उन सभी देशों में, जहाँ हिंदू रहते हैं, बालाजी मंदिर की स्थापना हो। भारत एक युवा राष्ट्र है और हमारी युवा शक्ति ही हमारी सबसे बड़ी पूँजी है। मुझे पूरा विश्वास है कि 2047 तक भारत दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनेगा और भारतीय वैश्विक स्तर पर सबसे प्रभावशाली समुदाय के रूप में उभरेंगे।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सी. आर. मुकुंद ने बड़े मंदिरों की सामाजिक जिम्मेदारी को रेखांकित करते हुए कहा, “जो बड़े मंदिर आर्थिक रूप से सशक्त हैं, वे छोटे मंदिरों की सहायता कर सकते हैं, ताकि श्रद्धा और भक्ति जीवंत बनी रहे। तिरुपति जैसे कई बड़े मंदिर, कर्नाटक सहित अन्य स्थानों पर, छोटे मंदिरों के जीर्णोद्धार और पुनरुद्धार करने में योगदान दे रहे हैं। ये मंदिर गाँवों में हिंदू धर्म और सनातनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।”
तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने हिंदू मंदिरों की स्वायत्तता के बारे में बात करते हुए कहा, “जब भगवान वेंकटेश्वर हमें मौका देंगे और एनडीए सत्ता में आएगा, तो हम हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम (एचआर और सीई) को समाप्त कर 44,121 मंदिरों को इससे मुक्त करेंगे। सोचिए, इससे कितनी बेहतर मंदिर अर्थव्यवस्था विकसित होगी, जिससे मंदिरों के आसपास के स्कूल संचालित किए जा सकेंगे, नगर की नागरिक संरचना का ध्यान रखा जाएगा, इंजीनियरिंग कॉलेज चलाए जा सकेंगे, और विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र स्थापित किए जा सकेंगे। यहाँ तक कि यदि मंदिरों का प्रबंधन ठीक से न भी हो, तब भी यह अपार राजस्व उत्पन्न कर सकता है।”
विश्व हिंदू परिषद के महासचिव मिलिंद परांडे ने मंदिर प्रशासन और स्वायत्तता पर एक नई नियामक व्यवस्था का प्रस्ताव रखा, जिसमें उन्होंने राज्य स्तरीय राज्य धार्मिक परिषदों के गठन का सुझाव दिया। प्रस्ताव में मंदिरों की स्वायत्तता बनाए रखते हुए महिलाओं और अनुसूचित जाति-जनजाति समुदायों के व्यापक प्रतिनिधित्व पर विशेष जोर दिया गया।उन्होंने कहा, “हमारे मंदिरों को केंद्रीकृत नियंत्रण की आवश्यकता नहीं है। हम चाहते हैं कि मंदिर स्वतंत्र हों और देश के कानून के अनुसार कार्य करें। हमारा उद्देश्य मंदिरों को एक प्रणाली से हटाकर दूसरी में डालना नहीं है। सभी मंदिरों की स्वायत्तता का सम्मान किया जाएगा, नौकरशाही से उन्हें मुक्त रखा जाएगा और महिलाओं एवं जाति-जनजाति समुदायों का व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा।”
*आईटीसीएक्स के समापन भाषण में गिरीश कुलकर्णी ने कहा,* “आईटीसीएक्स सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जो नवाचार और स्थिरता के माध्यम से मंदिरों की व्यवस्थाओं में क्राँति लाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह राष्ट्र निर्माण की दिशा में हमारा संकल्प है। भारत आज वैश्विक भक्ति और आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र बन रहा है, ऐसे में मंदिरों के संचालन को संगठित, सशक्त और सुव्यवस्थित करने की अत्यधिक आवश्यकता है, जिससे वे भविष्य के लिए तैयार रह सकें। स्मार्ट प्रबंधन रणनीतियों को अपनाकर हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि मंदिर आध्यात्मिकता, परंपरा और सामुदायिक विकास के जीवंत केंद्र बने रहें।”
*समापन समारोह में प्रसाद लाड ने एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए इंटरनेशनल टेम्पल्स फेडरेशन के गठन की जानकारी दी, जो सनातन धर्म की अखंडता को वैश्विक स्तर पर एकजुट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल होगी।*
आईटीसीएक्स के पीछे की अथक मेहनत को मान्यता देते हुए श्री प्रसाद लाड और श्री गिरीश कुलकर्णी को श्री देविकूप महाभद्रकाली शक्तिपीठ के पीठाध्यक्ष श्री सतपाल शर्मा जी गुरुजी द्वारा प्रतिष्ठित चाँदी के मुकुट से सम्मानित किया गया। यह सम्मान मंदिर प्रशासन, धार्मिक पर्यटन और आध्यात्मिक धरोहर संरक्षण में उनके योगदान को दर्शाता है, विशेष रूप से टेम्पल कनेक्ट और आईटीसीएक्स के माध्यम से किए गए उनके प्रयासों के लिए।
आईटीसीएक्स 2025 का केंद्र बिंदु श्रद्धालुओं के अनुभव को और उन्नत बनाना था। इस मंच ने मंदिरों के प्रबंधन को धार्मिक सीमाओं से परे ले जाकर आधुनिक तकनीक, वित्तीय प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण, एआई एकीकरण, सतत विकास और सामुदायिक सेवा जैसे विषयों पर वैश्विक विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और मंदिर नेतृत्व को एकजुट किया। ‘मंदिर अर्थव्यवस्था को सशक्त, प्रभावी और उन्नत बनाने’ की थीम के तहत, इस आयोजन ने मंदिरों को अधिक कुशल और समाजोपयोगी बनाने पर जोर दिया।
आईटीसीएक्स 2025 को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और इन्क्रेडिबल इंडिया पहल का समर्थन मिला, जबकि महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एमटीडीसी) प्रेजेंटिंग पार्टनर रहा। इस सम्मेलन को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक सहित विभिन्न राज्यों के पर्यटन एवं बंदोबस्ती बोर्ड्स का भी सहयोग प्राप्त हुआ।