चितरपुर प्रखंड स्तरीय रविफसल कार्यशाला में नये तकनीकी का दिया गया प्रशिक्षण

रजरप्पा ।रामगढ़ के चितरपुर प्रखंड अंतर्गत पंचायत भवन लारीकलां में पंचायत की मुखिया सरस्वती देवी एवं अन्य जनप्रतिनिधि की मौजूदगी में प्रखंड स्तरीय रबी कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें पंचायत के विभिन्न गाँवों के प्रगतिशील कृषक, चितरपुर प्रखंड के कृषक मित्र, प्रखंड कृषि पदाधिकारी श्रीमती चित्रा सिंह मुंडा,प्रखंड तकनीकी प्रबंधक चंद्रमौली,सहायक तकनीकी प्रबंधक निरंजन कुमार एवं सहायक तकनीकी प्रबंधक अनामिका टेटे भी रब्बी कार्यशाला में उपस्थित रहे। प्रखंड तकनीकी प्रबंधक चंद्रमौली ने कृषि प्रौद्योगिकी के मुख्य बिंदुओं पर व्याख्यान दिया

“स्मार्ट खेती का युग आ गया है कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के साथ कृषि एवं बागवानी फसलों में रोगों की पहचान एवं प्रबंधन”
कृत्रिम बुद्धिमत्ता या से आधुनिक तकनीकी युग में कृषि क्षेत्र का एक अभिन्न अंग बन गई है। प्लांट पैथोलॉजी में AI का उपयोग से रोगों की पहचान, निदान, और प्रबंधन को अधिक कुशल और सटीक बनाने के लिए किया जा रहा है। पारंपरिक तरीकों की तुलना में AI आधारित समाधान तेज, लागत प्रभावी, और अधिक सटीक हैं। कृषि और बागवानी फसलों को प्रभावित करने वाले रोग हर साल बड़े स्तर पर फसल हानि का कारण बनते हैं। इन रोगों की सटीक और समय पर पहचान और प्रभावी प्रबंधन कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अत्यंत आवश्यक है। पारंपरिक तरीकों से रोगों की पहचान और नियंत्रण में समय और संसाधन अधिक लगते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) ने इस चुनौती का समाधान कृषि के क्षेत्र में पेश किया है। AI आधारित तकनीकें तेज, सटीक, और कुशल रोग प्रबंधन को संभव बनाती हैं। इससे रोगों की पहचान में भूमिका छवि विश्लेषण तकनीक से पौधों की पत्तियों, फलों, और तनों की तस्वीरों का AI आधारित छवि विश्लेषण सटीक रूप से रोगों की पहचान कर सकती है।
स्मार्टफोन एप्लिकेशन, जैसे प्लाॅनटिक्स ,एग्रीको किसानों को तस्वीर अपलोड करके रोग का निदान करने की सुविधा प्रदान करती हैं।
ड्रोन और सेंसर आधारित मशीनों से खेतों की निगरानी करते हुए पौधों की तस्वीरें लेते हैं इन तस्वीरों का विश्लेषण करके रोग प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करते हैं।मल्टीस्पेक्ट्रल और हाइपरस्पेक्ट्रल कैमरों के माध्यम से सूक्ष्म लक्षणों का पता लगाया जा सकता है।पौधों के स्वास्थ्य और रोग लक्षणों से संबंधित डेटा का विश्लेषण किया जाता है।
AI द्वारा रोग प्रबंधन में भी
किसानों को सटीक और समय पर प्रबंधन निर्णय लेने में मदद मिलेगी ।जैसे कौन-से रसायन, जैविक नियंत्रण, या अन्य उपाय किस समय पर उपयोग किए जाने चाहिए।
रोग फैलाव का पूर्वानुमान AI मॉडल मौसम और फसल डेटा का उपयोग करके यह अनुमान लगा सकते हैं कि किस क्षेत्र में कौन-सा रोग फैल सकता है।सटीक दवा और उर्वरक उपयोग की कितनी मात्रा किस क्षेत्र में डालनी चाहिए।
इससे लागत कम होती है और पर्यावरणीय प्रभाव भी घटता है।
किसानों को मौसम और जलवायु परिवर्तन झारखंड क्षेत्र में मौसम पूर्वानुमान के महत्व पर चर्चा की जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और इसके प्रबंधन के तरीकों पर प्रकाश डाले। कृषि व्यवसाय के महत्व और इसके बाजार विकास के तरीकों और इसके महत्व को किसानों के बीच रखे । कृषकों को प्रशिक्षण की क्यूं आवश्यकता है व इसके महत्व पर प्रकाश डाले ।
प्रखंड कृषि पदाधिकारी, चितरपुर ने फसल उत्पादन और प्रबंधन पर क्षेत्र में उगाई जाने वाली फसलों के चयन पर चर्चा के साथ साथ फसल प्रबंधन के तरीकों, जैसे कि सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, और कीट प्रबंधन पर चर्चा की । सहायक तकनीकी प्रबंधक निरंजन कुमार ने रब्बी के मौसम में होने वाली फसलें में क्या समस्या आती है उसके निदान के तरीके बताये।
सहायक तकनीकी प्रबंधक अनामिका टेटे ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हूए कृषि यंत्रों का कृषि में क्या क्या महत्व है इसके महत्व पर चर्चा की।

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