अतुल मलिकराम
हमारे देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों का होना एक बड़ी समस्या है। उनमें से भी सबसे बड़ी संख्या विचाराधीन कैदियों की है। विचाराधीन कैदी वे हैं, जिनके मामलों पर सालों-साल सुनवाई चलती रहती है, लेकिन फिर कोई फैसला न आने की स्थिति में ये लोग जेल में अपराधियों की तरह कैद रहते हैं। उसके बाद भी कई बार जुर्म साबित न होने पर इन्हें बरी कर दिया जाता है। यह स्थिति देश के लिए सबसे ज्यादा घातक है, क्योंकि जुर्म साबित न होने की स्थिति में इन्हें बरी तो कर दिया जाता है लेकिन, इससे इन्हें फिर से अपराध करने की छुट मिल जाती है और यह दौर इस प्रकार ही चलता रहता है। इन अपराधियों का कोई मामला जब न्यायालय तक पहुँचता है और अपराधी से संबंधित फाइल खोली जाती है, तब एक साथ कई मामले सामने आते हैं। फिर कई अपराधों में सुनवाई चलने के कारण फैसला आने में सालों लग जाते हैं और मामला उलझता ही चला जाता है। इस स्थिति को सुलझाने का आसान तरीका है अपराधियों पर तुरंत कार्यवाही। जी हाँ… यही एक तरीका है, जिससे अपराधियों और अपराध की संख्या को कम किया जा सकता है।
यहाँ यह भी ध्यान देने की जरुरत है कि नियमों में ढिलाई अपराधों को और बढ़ा रही है। अपराध करने वालों को यह अच्छी तरह पता है कि छोटे-मोटे किसी भी अपराध पर जमानत तो मिल ही जाएगी, साथ ही लम्बी कानूनी कारवाई और न्यायालय से फैसला आने में भी सालों लगेंगे। इसलिए भी न्याय व्यवस्था का डर नहीं है। इस प्रकार की कानूनी व्यवस्था अपराधियों के हौंसले तो बढ़ा ही रही है, साथ ही इससे जेलों की व्यवस्था भी बिगड़ रही है, क्योंकि लम्बी कानूनी प्रक्रिया में सालों-साल केस चलते रहते हैं और इस तरह कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई मामलों के विचाराधीन कैदी किसी छोटे-मोटे अपराध के कारण जेल में आते हैं, लेकिन यहाँ के माहौल में वे और बड़े अपराधों के लिए तैयार हो जाते हैं। इस तरह यह लचीली कानून और न्याय व्यवस्था अपराध और आपराधियों की तादाद बढ़ा रही है।
इसे रोकने के लिए जरुरत है ऐसे नियमों की, जो तुरंत और जल्द कार्यवाही पर जोर दें, जिससे सालों तक लंबित रहने वाले फैसले जल्द निपट सकें। इसके दो फायदे होंगे, पहले तो लोगों में न्याय व्यवस्था को लेकर डर पैदा होगा, जो बेशक अपराधों में कमी लाएगा और दूसरा इससे जेलों में बंद लाखों विचाराधीन कैदियों का निर्णय जल्द हो सकेगा, इससे एक तरफ जेलों में कैदियों की संख्या में कमी आएगी, तो दूसरी तरफ बिना अपराध सिद्ध हुए सालों से कैद लोगों की जिंदगी खराब होने से बच सकेगी।
जैसे मध्य प्रदेश में 12 या उससे कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामलों में जल्द फैसला करने के लिए मृत्यु दंड की सज़ा का प्रावधान किया गया है। इस प्रकार का प्रावधान करने वाला यह देश का पहला राज्य बन गया है। इस प्रकार के प्रावधान हर राज्य को अपनाना चाहिए और केवल नाबालिगों के बलात्कार में ही क्यों, यह प्रावधान तो बलात्कार के हर मामले में लागू होना चाहिए। इस प्रकार के प्रावधान से न सिर्फ सालों से चल रहे बलात्कार के मामलों में जल्द ही फैसला हो पाएगा, बल्कि अपराधियों में भी डर उत्पन्न होगा, जिससे बलात्कार के मामलों में कमी आएगी।
इसके अलावा, अन्य अपराधों के मामलों में भी तुरंत कार्रवाई का प्रावधान करने से ही अपराधों में कमी लाई जा सकती है। साथ ही जमानत के नियमों में भी बदलाव की जरुरत है, क्योंकि नियमों का लचीलापन ही कानून व्यवस्था की कमजोरी बन रहा है। साथ ही, यह हमारी जेल व्यवस्था को भी बिगाड़ रहा है। इसलिए न्याय व्यवस्था के नियमों में संशोधन करना सबसे ज्यादा जरुरी है। जिस प्रकार अपराधों की जघन्यता और आँकड़ों में वृद्धि हो रही है, उन्हें देखते हुए नियमों में भी सख्ती की आवश्यकता है। क्योंकि अब भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह हमारे लिए और नई समस्याओं का कारण बन जाएगा।