उत्तराखंड दिखा रहा है देश के हरे भविष्य की तस्वीर
वन और वृक्षावरण में किया 85 वर्ग किमी का इजाफा : भूपेंद्र यादव
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023’ काे जारी किया
देहरादून। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार काे कहा कि उत्तराखंड ने वनीकरण और पर्यावरणीय प्रबंधन में उल्लेखनीय प्रगति की है। इस पहाड़ी राज्य ने वर्ष 2021 की तुलना में 85 वर्ग किमी वन और वृक्षावरण का इजाफा किया है। इस वृद्धि में जलवायु परिवर्तन से निपटने और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता झलकती है। उन्हाेंने यह जानकारी आज यहां वन अनुसंधान संस्थान(एफआरआई), देहरादून में आयाेजित कार्यक्रम में ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023’ काे जारी करने के अवसर पर दी।
केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा कि उत्तराखंड ने ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023’ में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। यह देश के हरे भविष्य की तस्वीर दिखा रहा है। राज्य की सरकार, स्थानीय समुदाय और पर्यावरण प्रेमियों के सामूहिक प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया है कि उत्तराखंड न केवल अपनी हरित संपदा को बनाए रखे, बल्कि इसे आने वाले वर्षों में और भी बेहतर बनाए। इसमें उत्तराखंड की पर्यावरण संरक्षण और हरित प्रयासों की सशक्त भूमिका काे दिखाया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड ने वनीकरण और पर्यावरणीय प्रबंधन में उल्लेखनीय प्रगति की है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्य में कुल वनावरण 24,295 वर्ग किमी है, जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 45.44% है। वृक्षावरण में भी राज्य ने सराहनीय प्रदर्शन किया है, जो स्थानीय जैव विविधता और ग्रामीण जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। वन और वृक्षावरण में वृद्धि वर्ष 2021 की तुलना में उत्तराखंड में 85 वर्ग किमी वन और वृक्षावरण का इजाफा हुआ है। इस वृद्धि में जलवायु परिवर्तन से निपटने और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता झलकती है।
उन्हाेंने बताया कि बांस क्षेत्र उत्तराखंड में बांस क्षेत्र का विस्तार पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण आजीविका में सहायक हो रहा है। हालांकि मैंग्रोव राज्य का प्राथमिक क्षेत्र नहीं है, लेकिन राज्य ने मैदानी क्षेत्रों में वनीकरण और वृक्षारोपण पर ध्यान केंद्रित किया है। कार्बन स्टॉक में भी उत्तराखंड के वनों ने राष्ट्रीय कार्बन स्टॉक में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राज्य का कार्बन स्टॉक राष्ट्रीय आंकड़ों में एक प्रमुख घटक है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। 2021 की तुलना में, राज्य ने कार्बन स्टॉक में 5.4 मिलियन टन का इजाफा किया है।
उत्तराखंड में वन और वृक्षावरण की स्थिति-कुल वनावरण और वृक्षावरण : उत्तराखंड में कुल वनावरण 24,295 वर्ग किमी है, जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 45.44 फीसद है। वृक्षावरण में भी राज्य ने सराहनीय प्रदर्शन किया है, जो स्थानीय जैव विविधता और ग्रामीण जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। वन और वृक्षावरण में वृद्धि : 2021 की तुलना में उत्तराखंड में 85 वर्ग किमी वन और वृक्षावरण का इजाफा हुआ है। इस वृद्धि में जलवायु परिवर्तन से निपटने और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता झलकती है।संवेदनशील और संरक्षित क्षेत्र : राज्य में राजाजी नेशनल पार्क, कार्बेट नेशनल पार्क और नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्र वनावरण को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
मैंग्रोव और बांस में योगदान-बांस क्षेत्र : उत्तराखंड में बांस क्षेत्र का विस्तार पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण आजीविका में सहायक हो रहा है।मैंग्रोव संरक्षण: हालांकि मैंग्रोव राज्य का प्राथमिक क्षेत्र नहीं है, लेकिन राज्य ने मैदानी क्षेत्रों में वनीकरण और वृक्षारोपण पर ध्यान केंद्रित किया है।
कार्बन स्टॉक में योगदान-उत्तराखंड के वनों ने राष्ट्रीय कार्बन स्टॉक में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राज्य का कार्बन स्टॉक राष्ट्रीय आंकड़ों में एक प्रमुख घटक है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। 2021 की तुलना में, राज्य ने कार्बन स्टॉक में 5.4 मिलियन टन का इजाफा किया है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकारी प्रयास-हरित योजनाएं : राज्य सरकार ने कैच द रेन अभियान, वन महोत्सव, और मिशन 2025 ग्रीन उत्तराखंड जैसी योजनाओं के माध्यम से वनीकरण को बढ़ावा दिया है। उत्तराखंड में वन संरक्षण में स्थानीय समुदायों और स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में वृक्षारोपण और बांस उत्पादन को आजीविका से जोड़ा गया है। राज्य में वनाग्नि को नियंत्रित करने के लिए रियल-टाइम अलर्ट सिस्टम और ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
वन और वृक्षावरण वृद्धि में उत्तराखंड की विशेष उपलब्धियां- उत्तराखंड का वनावरण राष्ट्रीय औसत (21.76 फीसद) से काफी अधिक है, जो इसे हरित भारत मिशन में अग्रणी बनाता है। राज्य ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामाजिक वनीकरण, एग्रोफोरेस्ट्री, और पर्वतीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है।
भविष्य की योजनाएं- 2025 तक वनावरण बढ़ाने का लक्ष्य : उत्तराखंड सरकार का लक्ष्य 2025 तक वनावरण को 50% तक ले जाना है।पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा : वन क्षेत्र को पर्यावरण पर्यटन और जागरूकता का केंद्र बनाने के लिए योजनाएं तैयार की जा रही हैं।स्थानीय प्रजातियों का संरक्षण : राज्य में जैव विविधता को बनाए रखने के लिए स्थानीय वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण पर बल दिया जा रहा है।