नई दिल्ली। Adani समूह के खिलाफ आरोपों पर तत्काल चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के हंगामे के कारण बृहस्पतिवार को राज्यसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और फिर बताया कि उन्हें अडानी, मणिपुर और संभल हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत कुल 16 नोटिस मिले हैं। उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, अखिलेश प्रताप सिंह, सैयद नासिर हुसैन और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सहित कुछ अन्य सदस्यों ने अदाणी समूह के कथित भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और वित्तीय अनियमितताओं सहित अन्य कदाचारों के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे।
समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन और रामगोपाल यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास और ए ए रहीम सहित कुछ अन्य सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे जबकि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरूचि शिवा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पी संदोष कुमार सहित कुछ अन्य सदस्यों ने मणिपुर में जारी हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए।
सभापति धनखड़ ने सभी नोटिस अस्वीकार करते हुए कहा कि सदस्य इन मुद्दों को अन्य प्रावधानों के तहत उठा सकते हैं। इसी दौरान कांग्रेस के जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि सभापति को कैसे मनाया जाए ताकि विपक्ष के नोटिस स्वीकार किए जा सकें। इसके जवाब में धनखड़ ने कहा कि नियम इतने व्यापक हैं कि वे प्रत्येक सदस्य को योगदान देने में सक्षम बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले सत्र के दौरान एक अवसर आया था जब समय का आवंटन किया गया था लेकिन वक्ताओं की कमी के कारण उस समय का उपयोग नहीं हो सका था। सभापति ने कहा कि सदस्य अपने मुद्दे उठा सकते हैं लेकिन यह नियमों के अनुसार होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम अपनी पद्धति ‘मेरे तरीके से ही या किसी भी तरीके से नहीं’ अपनाते हैं तो न केवल यह लोकतांत्रिक नहीं होगा, बल्कि यह इस पवित्र मंच के अस्तित्व के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। मुझे कोई संदेह नहीं है कि नियमों से कोई भी विचलन इस मंदिर का लगभग अपवित्रीकरण है।’’
इसके तत्काल बाद कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने नोटिस खारिज किए जाने के बाद व्यवस्था का प्रश्न उठाया और अदाणी मुद्दे पर चर्चा की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मुद्दा है और देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। सभापति धनखड़ ने तिवारी से कहा कि उनकी कोई भी बात रिकार्ड में नहीं जाएगी।
विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच तिवारी अपनी बात रख ही रहे थे कि धनखड़ ने 11 बजकर 12 मिनट पर सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही कांग्रेस के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर अदाणी मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग करते नजर आए।
सभापति धनखड़ ने सदस्यों से आग्रह किया वे प्रश्नकाल का सुचारू संचालन होने दें क्योंकि यह बेहद महत्वपूर्ण होता है। उनके आग्रह का जब सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने बारह बज कर करीब सात मिनट पर सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। नियम 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है। अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो इससे पता चलता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है।
राज्यसभा की नियम पुस्तिका में कहा गया है, ‘‘कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव कर सकता है। वह प्रस्ताव ला सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध एजेंडे को निलंबित किया जाए। अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो विचाराधीन नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है।’’