राहुल की बिजनेस विरोधी छवि बदलने की कोशिश में जुटी कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी और स्वयं राहुल गांधी उनकी बिजनेस विरोधी छवि को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि लगातार अडानी और अंबानी जैसे बड़े उद्योगपतियों पर निशाना साधने के चलते उनकी छवि बिजनेस विरोधी बन रही है। इसी क्रम में कल राहुल के लेख के बाद आज पार्टी नेता राहुल की सोच को स्पष्ट कर रहे हैं। स्वयं राहुल गांधी ने कहा है कि वे बिजनेस विरोधी नहीं है बल्कि बिजनेस की दुनिया में एकाधिकार के विरोधी हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज एक एक्स पोस्ट में कहा, “मैं नौकरियों का समर्थक हूं, व्यवसाय का समर्थक हूं, नवप्रवर्तन का समर्थक हूं, प्रतिस्पर्धा का समर्थक हूं। मैं एकाधिकार विरोधी हूं।”

राहुल का कहना है कि वे दो या पांच उद्योगपतियों की बाजार में पैठ के विरोधी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार इसमें उनका साथ दे रही है। अधिकांश भारतीय व्यवसायों में समान अवसर का अभाव है। मेरा मानना ​​है कि व्यवसायों का समर्थन करना और उनके लिए समान अवसर उपलब्ध कराना मेरा कर्तव्य है, जिससे नौकरी देने वालों को सशक्त बनाया जा सके।

कल राहुल गांधी ने इंडियन एक्सप्रेस और दैनिक जागरण अखबार में लेख लिखकर अपनी बिजनेस विरोधी छवि को बदलने का प्रयास किया था। राहुल गांधी ने एक वीडियो वक्तव्य में कहा था कि भाजपा और उनके विरोधी उनकी बिजनेस विरोधी छवि बना रहे हैं जबकि ऐसा नहीं है वे असल में एकाधिकार के विरोधी हैं।

राहुल के लेख और वीडियो वक्तव्य के बाद आज पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भारत के आर्थिक विकास के लिए निजी निवेशकों की जरूरत है लेकिन आज जिस तरह से हमारी अर्थव्यवस्था में एकाधिकार है। भय और धमकी देने का वातावरण है, वह देशहित में नहीं है। राहुल गांधी ने देश के लिए एक एजेंडा पेश किया है कि आर्थिक विकास किस ढंग से होना चाहिए। उनका मानना है कि आर्थिक विकास सभी भारतवासियों के लिए हो, सभी को समान अवसर मिले। इसे सिर्फ चंद पूंजीपतियों तक सीमित नहीं होना चाहिए।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि पारदर्शी नियम और निष्पक्ष खेल किसी भी लोकतंत्र के लिए अनिवार्य हैं। खासकर जब व्यवसाय बढ़ाने की बात हो। राहुल गांधी कल के लेख में बताया गया है कि पिछले 10 वर्षों की अवधि में पादर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया है।

कांग्रेस नेता अशोक गहलोत का कहना है कि दुनिया के कई मुल्कों में उद्योगपतियों को वहां के नेताओं से मिलने की ज़रूरत नहीं पड़ती। क्योंकि वहां पर सभी उद्योगपतियों के लिए समान नियम होते हैं। संस्थाएं सभी को एक नज़र से देखती हैं और उन्हें कोई डर भी नहीं रहता।

महाराजा- नवाबों पर टिप्पणी से लेख ने जन्म दिया या विवाद

इसी बीच राहुल गांधी के कल लेख में आजादी के पूर्व महाराजाओं और नवावों के ईस्ट इंडिया कंपनी का साथ देने संबंधी टिप्पणी पर भी विवाद हो गया है। भाजपा के राजघरानों की पृष्ठभूमि वाले नेताओं ने राहुल गांधी की इसको लेकर आलोचना की है।

भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि नफरत बेचने वालों को भारतीय गौरव और इतिहास पर व्याख्यान देने का कोई अधिकार नहीं है। राहुल गांधी भारत ने समृद्ध विरासत के बारे में अज्ञानता और औपनिवेशिक मानसिकता ने सभी सीमाएं पार कर ली हैं।

सिंधिया ने कहा कि वे भारत माता का अपमान करना बंद करें और महादजी सिंधिया, युवराज बीर टिकेंद्रजीत, कित्तूर चेन्नम्मा और रानी वेलु नाचियार जैसे सच्चे भारतीय नायकों के बारे में जानें, जिन्होंने हमारी आजादी के लिए जमकर लड़ाई लड़ी।

राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दिव्या कुमारी ने कहा है कि वे संपादकीय में भारत के पूर्व राजसी परिवारों को बदनाम करने के राहुल गांधी के प्रयास की कड़ी निंदा करती हैं। एकीकृत भारत का सपना भारत के पूर्व राजपरिवारों के सर्वोच्च बलिदान के कारण ही संभव हो सका। ऐतिहासिक तथ्यों की आधी-अधूरी व्याख्या के आधार पर लगाए गए निराधार आरोप पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं।

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