मरने से पहले शिवभक्त कांवड़िए ने बचाई कई जिंदगी!

प्रेरक कथा अंगप्रत्यारोपण दिवस 13 अगस्त पर विशेष

डॉ. श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
हरियाणा से हरिद्वार कांवड़ लेने के लिए आए 25 वर्षीय सचिन कांवड़ ले जाते समय अचानक एक वाहन की चपेट में आकर गम्भीर रूप से घायल हो गए।उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाने का प्रयास किया गया परन्त अस्पतालों में मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण जिस अस्पताल में भी जाते वही मना हो जाती,यह बात जब उत्तराखंड की राज्यसभा सांसद डॉ कल्पना सैनी तक पहुंची तो उन्होंने दिल्ली में चलते सदन के बीच ही ऋषिकेश एम्स के निदेशक को फोन किया और सचिन नामक कांवड़िए को भर्ती करके उसकी जान बचाने का अनुरोध किया।सचिन की हालत बहुत गम्भीर थी,फिर भी तमाम व्यवधानों के बावजूद उसका उपचार कर जान बचाने का भरसक प्रयास किया गया।सांसद कल्पना सैनी भी पूरे समय तक एम्स के चिकित्सकों के संपर्क में रही ताकि एक युवा की जिंदगी बचाई जा सके।परन्तु सचिन को ज्यादा चोट लगने के कारण उसका ब्रेन डेड हो चुका था और बचने की सारी उम्मीदे खत्म हो गई थी।जब यह बात उपचार कर रहे चिकित्सको ने सचिन के पिता सतीश को बताई और उन्हें बेटे की जिंदगी के बदले कई जिंदगियां बचाने के लिए बेटे के महत्वपूर्ण अंगों को दान करने की सलाह दी तो पहले तो वे विचलित हो गए और अपने लाडले के निर्जीव शरीर से अंग न निकालने पर अड़े रहे परन्तु काफी समझाने पर वे यह महादान करने के लिए तैयार हो गए।सचिन के ब्रेन डेड शरीर से किडनी,लीवर व आंखे अन्य मरीजों को प्रत्यारोपित करने के लिए चंडीगढ़ व नई दिल्ली तक विशेष कॉरिडोर बनाया गया ,तब जाकर प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पूरी हुई।सचिन अब स्वयं की जिंदगी के बजाए दुसरो को किए अंगदान से कई जिंदगियो के रूप में अमर हो गया है।सचिन के पिता सतीश ने समय पर मदद करने के लिए राज्यसभा सांसद डॉ कल्पना सैनी को भावपूर्ण कर्तयज्ञता संदेश भेजा है। वास्तव में जब आप अंग दान करते हैं, तो आप किसी को जीवन जीने का दूसरा मौका देते हैं। लेकिन यह सिर्फ़ एक व्यक्ति की जान बचाने के बारे में नहीं ,बल्कि अंग दान से बहुत से लोगों और उनके परिवारों की मदद की जा सकती है। एक दाता 8 लोगों की जान बचा सकता है और 75 से ज़्यादा लोगों की ज़िंदगी बेहतर बना सकता है। सक्रिय अंग दाता बनने के लिए आपको मरना ज़रूरी नहीं है। अगर आप स्वस्थ हैं, तो आप जीवित रहते हुए भी  किडनी या लीवर का हिस्सा जैसे कुछ अंग दान कर सकते हैं। इस तरह के दान से किसी व्यक्ति के जीवन को बचाया जा  सकता है, जीवित दान में आमतौर पर एक किडनी या लीवर का हिस्सा या अन्य ऊतक दान करना शामिल होता है, आप दान करने के लिए पर्याप्त स्वस्थ चाहिए, और यह प्रक्रिया आपके और अंग प्राप्तकर्ता दोनों के लिए सुरक्षित है।हृदय, गुर्दे, यकृत और फेफड़े जैसे अंगों की मांग बहुत अधिक है, और इनमें से किसी एक प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा करते हुए हर दिन 17 लोग मर जाते हैं। हालांकि 170 मिलियन से अधिक लोग पंजीकृत दाता भी हैं।हकीकत यह है कि 1,000 में से केवल 3 लोग ही ऐसे  मरते हैं जिससे मृतक अंग दान की अनुमति मिलती है। राष्ट्रीय प्रत्यारोपण प्रतीक्षा सूची में 103,223 लोगों में से किसी को भी अंगदान करके उनके जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है।एक अंग दाता अंग दान के ज़रिए आठ लोगों की जान बचा सकता है। एक हृदय दान एक व्यक्ति की जान बचा सकता है, जबकि एक लीवर या फेफड़े का दान दो लोगों की जान बचा सकता है। किडनी दान दो लोगों की जान बचा सकता है, जबकि अग्न्याशय दान एक व्यक्ति की जान बचा सकता है और दूसरे के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। आंत दान भी एक व्यक्ति की जान बचा सकता है।
इसके अलावा, एक ऊतक दाता 75 लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है। कॉर्निया दान से दो लोगों की दृष्टि वापस आ सकती है, जबकि हड्डी और ऊतक दान से गंभीर चोटों या बीमारियों से पीड़ित लोगों की गतिशीलता और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
अंग दान से प्राप्तकर्ता लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं और उनका जीवन बेहतर हो सकता है। भारत में अंग दान की दर दुनिया में सबसे कम है।कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी उम्र, जाति या धर्म कुछ भी हो, अपने अंग दान कर सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि संभावित अंग दाताओं को एचआईवी, कैंसर, हृदय रोग या मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियाँ न हों।जब भारत में अंगदान की बात आती है, तो मरीज के परिवार को अंग देने या न देने का अंतिम निर्णय लेना होता है। कोई भी व्यक्ति जो अपने अंग दान करना चाहता है, वह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध डोनर अनुमति फॉर्म भरकर ऐसा कर सकता है।आइए हम यह संकल्प लें कि भारत में कोई भी व्यक्ति अंगों की कमी के कारण कभी नहीं मरेगा।
(लेखक आध्यात्मिक चिंतक व वरिष्ठ पत्रकार है)

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