हरिद्वार । श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामण्डलेश्वर व हिन्दू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरी महाराज को एक पत्र सौंपकर निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि को तत्काल आचार्य पद से निष्कासित करने की मांग की है।
पत्र में स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज ने आरोप लगाते हुए कहा कि आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि का आचरण, व्यवहार सनातन परम्परा के विपरीत है। जब से वह आचार्य बने हैं, निरंतर सनातन संस्कृति के विपरीत गतिविधियों में लिप्त रहे हैं। ऐसे हर कार्य में वह आमादा रहते हैं, जिससे सनातन संस्कृति का अपमान हो सके। उन्होंने कहा कि उनके ऊपर कई संगीन आरोप लगे हैं, लेकिन उन्होंने आज तक उन अपराधों के बारे में कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दिया। जिस कारण से लोगों में संत समाज व सनातन परम्पराओं के प्रति अश्रद्धा का भाव उत्पन्न हो रहा है, जो सनातन संस्कृति के लिए बुरा संकेत है।
स्वामी प्रबोधानंद ने कहा कि विगत दिनों उन्होंने दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ धाम प्रतिकृति निर्माण का शुभारम्भ कराया। यह सारी रणनीति कैलाशानंद गिरि की थी। लगता है कि कैलाशांनद गिरि विदेशी षडयंत्र का शिकार हो गए हैं, जिसकी जांच करायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आचार्य पद पर बैठे व्यक्ति संस्कृति के खिलाफ षड्यंत्र रचे और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई न हो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे में आचार्य को तत्काल आचार्य पद से मुक्त कर मामले की जांच करायी जानी चाहिए।
स्वामी प्रबेधानंद गिरि महाराज ने स्वामी कैलाशानंद पर अग्नि अखाड़े की सम्पत्ति पर अवैध कब्जा करने, स्वामी रसानंद की सैंकड़ों करोड़ की सम्पत्ति बेचकर ऐश करने का भी आरोप लगाया। इतना ही नहीं उन्होंने महामण्डलेश्वर स्वामी रसानंद की मृत्यु को भी षडयंत्रपूर्वक हत्या करार दिया और जांच की मांग की।
महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज ने कहा कि स्वामी कैलाशानदं गिरि के खिलाफ जिसने भी आवाज उठायी और इनकी काली करतूतों को समाज के सामन उजागर किया वह जिंदा नहीं रहा। उन्होंने कैलाशानंद के पीछे आजम खान का हाथ होने की भी बात कही। उन्होंने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष से कैलाशानंद को तत्काल पद से मुक्त कर सभी आरोपों की जांच की मांग की।