नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले के संबंध में जेल में बंद कार्यकर्ता ज्योति जगताप को अंतरिम जमानत देने से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने जगताप की मुख्य जमानत याचिका पर सुनवाई भी स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति सुंदरेश ने कहा, ‘‘हम अंतरिम जमानत देने के इच्छुक नहीं हैं।’’
जगताप ने उन्हें जमानत देने से इनकार करने के उच्च न्यायालय के 17 अक्टूबर 2022 के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि जगताप के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) का मामला ‘‘प्रथम दृष्टया सही’’ है और वह प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) द्वारा रची गई ‘‘वृहद साजिश’’ का हिस्सा थी।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि जगताप उस कबीर कला मंच (केकेएम) समूह की सक्रिय सदस्य थीं, जिसने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे शहर में एल्गार परिषद सम्मेलन में अपने नाटक के दौरान न केवल आक्रामक, बल्कि अत्यधिक भड़काऊ नारे लगाए।
सम्मेलन में केकेएम के अन्य सदस्यों के साथ भड़काऊ नारे लगाने की आरोपी जगताप को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह मुंबई के भायखला महिला कारागार में हैं। जांचकर्ताओं के अनुसार, सम्मेलन में दिए भड़काऊ भाषणों के कारण एक जनवरी 2018 को पुणे के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की। जगताप पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत मुकदमा दर्ज है।