ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, दो बार विधायक रही वह उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख नेता बन गई थी
शीशपाल गुसाईं
शैला रानी रावत एक प्रभावशाली महिला थीं जिन्होंने केदार घाटी और रुद्रप्रयाग जिले में महिलाओं की सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में अपनी पहचान बनाई। पुरुष-प्रधान राजनीति में भी उन्होंने अपनी दृढ़ता और नेतृत्व क्षमता से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई। उनके निधन से पूरा क्षेत्र गमगीन है, क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई प्रमुख विकास कार्य किए और जनता की हित के लिए हमेशा तत्पर रहीं। महिलाओं के मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए, उन्होंने सदैव अपने विकास कार्यों में समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा।
कहा जाता है जो, व्यक्ति ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष रह गया हो, उसे विधायिका की अच्छी समझ हो जाती है। इसीलिए केदारनाथ से दिवंगत भाजपा विधायक शैला रानी रावत को ग्राम पंचायत की विशेषज्ञ माना जाता था। जमीनी स्तर से राजनीति में उनका उदय और उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख नेता वह बन गई थी।
*1996 में ब्लॉक प्रमुख अगस्तमुनि के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करते हुए, वह 2003 में रुद्रप्रयाग की जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। कालीमठ बाढ से जिला पंचायत सदस्य रही।अपने शुरुआती राजनीतिक जीवन में कई असफलताओं का सामना करने के बावजूद, जैसे कि 2002 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हारना और 2007 में टिकट न मिलना, शैला रानी रावत ने दृढ़ता से काम किया और आखिरकार 2012 में केदारनाथ में कांग्रेस विधायक की सीट जीती। हालांकि, वह 2017 में विधायक की सीट हार गईं, लेकिन 2022 में वापसी करते हुए भाजपा विधायक बन गईं।
ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में उनके अनुभव से प्राप्त पंचायत प्रणाली के उनके गहन ज्ञान ने उन्हें ग्राम-स्तरीय शासन में एक विशेषज्ञ के रूप में अलग खड़ा कर दिया। अक्सर कहा जाता है कि राजनीति की जटिलताओं को सही तरह से समझने के लिए जमीनी स्तर को समझना जरूरी है और शैला रानी रावत ने इस सिद्धांत को चरितार्थ किया।
जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कार्यशाला के लिए भुवनेश्वरी महिला आश्रम अंजनीसैण में आने पर मुझे शैला रानी रावत से मिलने का मौका मिला। इस बातचीत के दौरान पहली बार मुझे पता चला कि उनका मायका गडोलिया में है , जिससे स्थानीय लोगों के साथ उनके गहरे जुड़ाव के बारे में पता चला।
पिता थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
श्री पदम सिंह राणा एक बहादुर और देशभक्त व्यक्ति थे, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के गडोलिया गांव मूल के उन्होंने भारतीय नौसेना में एक कर्मचारी के रूप में काम किया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों के साथ काम करने के बावजूद, पदम सिंह राणा ने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने समर्पण में कभी कमी नहीं आने दी। उन्होंने नौसेना के भीतर अपने पद का इस्तेमाल चुपचाप ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध करने और अपने साथी देशवासियों को साम्राज्यवाद की दमनकारी प्रकृति के बारे में चेतावनी देने के लिए किया।
उनके प्रयासों पर किसी का ध्यान नहीं गया और भारत सरकार ने अंततः पदम सिंह राणा को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मान्यता दी। उन्हें स्वतंत्रता सेनानी की उपाधि और पेंशन दी गई, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए एक उचित श्रद्धांजलि थी। उनके निधन के बाद भी, उनकी पत्नी को राष्ट्र के लिए उनके बलिदान के सम्मान में पेंशन मिलती रही।
एक पूर्व नौसेना सैनिक के रूप में अपनी पृष्ठभूमि के साथ, पदम सिंह राणा को देहरादून की प्रतिष्ठित डिफेंस कॉलोनी में एक घर बनाने का अवसर मिला। यह उनके परिवार और उनके देश दोनों के लिए उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रमाण था। नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद, उन्होंने उत्तर प्रदेश वन विभाग में रेंजर की भूमिका निभाई, जो उस समय एक प्रतिष्ठित पद था। इससे उन्हें शैला रानी रावत और उनके भाई-बहनों सहित अपने बच्चों को मसूरी, देहरादून में अच्छी शिक्षा और बेहतर भविष्य के अवसर प्रदान करने का मौका मिला।
अध्यापक गजेंद्र सिंह रावत से हुआ विवाह
नागनाथ पोखरी के गजेंद्र सिंह रावत और विधायक शैला रानी रावत का विवाह 1970 के दशक के अंत में हुआ, तब रावत जी घुमेटीधार इंटर कालेज घनसाली में अध्यापक थे। उनके मिलन से दो ऐसे व्यक्ति एक साथ आए जो क्षेत्र में शिक्षा की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध थे। अगस्तमुनि में चिल्ड्रन एकेडमी हाई स्कूल का गजेंद्र सिंह रावत द्वारा स्वामित्व केदार घाटी के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम था। उत्तर प्रदेश द्वारा सहायता प्राप्त इस स्कूल ने छात्रों को अकादमिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने और जिम्मेदार व्यक्ति बनने के लिए एक मंच प्रदान किया। शिक्षा के प्रति रावत का समर्पण स्कूल की सफलता में स्पष्ट था, जो क्षेत्र में शिक्षा का एक प्रतीक बन गया। शैलरानी रावत, जिन्होंने कुछ समय के लिए स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम किया, बाद में राजनीति में आ गईं, जहाँ उन्होंने लोगों की सेवा करना जारी रखा। उनकी एक बेटी ऐश्वर्या, जो एक कर्नल से विवाहित हैं, ने मैक्स अस्पताल में अपील ने की थीं कि, माँ का हाथ कभी न छूटे। लेकिन नियति को कौन टाल सकता है। श्री गजेंद्र सिंह रावत आज राजपुर रोड़ फ्लैट में कुछ न कह पाने की मुद्रा में थे।
बहन के पति रहे आईएएस अधिकारी
शैला रानी की छोटी बहन के पति श्री नारायण सिंह नेगी पौड़ी, पिथौरागढ़ के डीएम रहे। तथा सचिव सिंचाई व लोक सेवा आयोग के सदस्य रहे। व्यवहारिक व्यक्ति नेगी जी 1978 बैच के उत्तर प्रदेश पीसीएस अधिकारी थे। वह नाकुरी गांव (डुंडा ) उत्तरकाशी के रहने वाले हैं। जब रेंजर पदम् सिंह राणा महत्वपूर्ण धरासू रेंज में रेंजर थे, तब पास के ही नाकुरी गांव से नारायण सिंह नेगी की बारात 1981 में धरासू फॉरेस्ट बंगले में आई थीं। यह बंगला, गेस्टहाउस विल्सन ने बनाया था। शैला जी की एक और बहन के पति वरिष्ठ एडवोकेट / बीजेपी नेता पृथ्वीराज सिंह चौहान हैं। वह कांग्रेस महानगर देहरादून प्रमुख रह चुके हैं। व बार काउंसिल उत्तराखण्ड के भी सदस्य।
भाई है उत्तरांचल प्रेस क्लब अध्यक्ष
शैला रानी रावत का छोटा भाई अजय राणा देहरादून के पुराने वरिष्ठ पत्रकार हैं। वर्तमान में उत्तरांचल प्रेस क्लब अध्यक्ष हैं। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में रहे श्री राणा सहारा टीवी, साधना टीवी सहित कई समाचार पत्रों में काम कर चुके हैं। शैला जी के एक भाई जो टीएचडीसी में वरिष्ठ प्रबन्धक श्री विजय राणा ( 58) थे। उनका दो माह पूर्व डिफेंस कालोनी में देहान्त हुआ था। इससे भी उनको सदमा लगा था।
मामा का पुत्र भाई है विधायक
शैला रानी रावत का मामा के पुत्र विक्रम सिंह नेगी, प्रतापनगर से कांग्रेसी विधायक हैं। *विक्रम नेगी खांड गांव के निवासी हैं जो गडोलिया गांव के उस पार है। विक्रम के पिता श्री सुंदर सिंह नेगी की बहन शैला रानी की माँ थीं। विक्रम नेगी और शैला रानी साथ – साथ ब्लॉक प्रमुख व विधायक बने।1996 में शैला जी अगस्तमुनि चमोली जिला, तो विक्रम नेगी जाखणीधार ब्लॉक टिहरी गढ़वाल जिला से प्रमुख बने, 2012 , 2022 में विधायक साथ बने। 2016 में शैला जी ने कांग्रेस के 9 एमएलए के साथ बगावत की थीं। और बीजेपी में शामिल हो गई थी।
गडोलिया गांव जहां से शादी की डोली उठी थी, वहीं से मिट्टी के साथ आज अर्थी उठी
विधायक शैला रानी रावत ने लंबी बीमारी के चलते पहले अपने भाई पत्रकार अजय राणा से कहा था, उनका पार्थिव शरीर गांव गडोलिया गांव (टिहरी ) से रुद्रप्रयाग जरूर ले जाना। गडोलिया में उन्होंने श्री पदम सिंह राणा के 68 साल पहले जन्म लिया था। आज देहरादून बीजेपी हेडक्वार्टर ऑफिस से उनका पार्थिव शरीर नरेंद्रनगर – चम्बा – कोटीकालोनी से सीधे गडोलिया गांव एक बजे दोपहर को पहुँचा। सम्पूर्ण पट्टी के लोग अपनी ध्याण को अंतिम विदाई देने आए थे। माहौल गमगीन हो गया। जहाँ से उनकी शादी की डोली उठी थी , वहीं से उनकी आज अंतिम डोली भी उठी। गडोलिया गांव की मिट्टी भी अर्थी में रखी गई। जिस मिट्टी में वह बड़ी हुई थीं। टिहरी- गडोलिया- कीर्तिनगर- श्रीनगर- रुद्रप्रयाग- अगस्तमुनि प्राचीन रास्ता है। कल उनका कालीमठ रोड़ त्रिवेणी घाट में अंतिम संस्कार किया जाएगा।