चर्चा मंगलौर उपचुनाव की, व्यापक प्रचार के बाद भी लोगो के गले नही उतर रहा भाजपा का बाहरी प्रत्याशी!

श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
देहरादून। उत्तराखंड में हरिद्वार जिले की मंगलौर विधानसभा सीट सीट पर मंगलौर विधानसभा क्षेत्र के लिए ‘बाहरी’ नेता करतार सिंह भड़ाना को भाजपा ने टिकट देकर जहां स्थानीय भाजपा नेताओं की उपेक्षा की है वही कांग्रेस ने  पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन को ही पुनः चुनाव मैदान में उतारा है,जबकि  बसपा ने दिवंगत सिटिंग विधायक सरवत करीम अंसारी के बेटे उबेदुर रहमान पर दांव लगाया है।वही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सादिया जैदी और विजय कुमार कश्यप भी मैदान में हैं।उत्तराखंड के राज्य बनने के बाद से ही यहां काजी निजामुद्दीन अपनी राजनीतिक विरासत संभालते हुए सन 2002, सन 2007, सन 2017 के चुनाव में बतौर विधायक निर्वाचित हुए,जबकि बसपा के सरवत करीम अंसारी ने सन 2012 और सन 2022 के विधानसभा चुनाव को जीतकर अपना वर्चस्व सिद्ध किया था। गत विधानसभा चुनाव में सरबत करीम अंसारी ने काजी निजामुद्दीन को मात्र 598 वोटों से हराकर विधायकी पाई थी।भाजपा  मंगलौर सीट आजतक कभी नही जीत पाई है।इस मिथक को तोड़ने के लिए भाजपा ने इस बार हरियाणा के करतार सिंह भड़ाना को चुनाव मैदान में उतारा है।भड़ाना इससे पहले  कभी भाजपा में नहीं रहे और विभिन्न दलों व विभिन्न क्षेत्रों से चुनाव लड़ते रहे है।इसी कारण उनपर बाहरी होने का ठप्पा भी लग रहा है हरिद्वार जिले में स्थित मंगलौर विधानसभा सीट  119,930 मतदाताओं वाली एक सामान्य श्रेणी की सीट है,जिसे  मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र भी माना जाता है, इस क्षेत्र में लगभग 54,000 मुस्लिम मतदाता हैं, साथ ही 18000 दलित, 14000 जाट और 8000 गुज्जर व अन्य जातियां लगभग 26 000 हैं।
इस चुनाव में जातिगत गणित के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता, सड़क, किसानो की समस्या, बिजली और मूल निवास व जाति प्रमाण पत्र बड़े मुद्दे  हैं। बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह रावत को मंगलौर से 44,100 वोट मिले थे, जबकि भाजपा उम्मीदवार त्रिवेंद्र सिंह रावत को लगभग 21,000 वोट मिले। 132 मतदान केंद्रों वाले मंगलौर विधानसभा क्षेत्र में 119,930 मतदाता हैं और 255 सर्विस वोटर हैं, जो 10 जुलाई को अपना मतदान करेंगे। मंगलौर विधानसभा सीट राज्य गठन के बाद अस्तित्व में आई थी।इससे पूर्व मंगलौर क्षेत्र लक्सर विधानसभा क्षेत्र  का हिस्सा हुआ करता था। राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 और वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में बसपा से काजी निजामुद्दीन ने लगातार दो बार जीत दर्ज की थी। पहली बार उन्होंने लोकदल के प्रत्याशी गौरव चौधरी को और दूसरी बार कांग्रेस के हाजी सरवत करीम अंसारी को हराया था।भाजपा उक्त चुनाव में दोनों बार चौथे स्थान पर रही थी।इसके बाद वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं ने पाला बदल लिया था। बसपा से दो बार विधायक रहे काजी निजामुद्दीन ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था, जबकि हाजी सरवत करीम अंसारी बसपा में शामिल हो गए थे।मंगलौर विधान सभा के सन 2022 के चुनाव में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्‍या 1,09,503 थी।वही 2023 में मतदाताओं की संख्या बढ़ चुकी है,अब ये संख्या 1,19,930 तक पहुंच गई है। इसमें से पुरुष मतदाता 63,287,महिला मतदाता 56,616 एवं तृतीय लिंग के 26 मतदाता है।कांग्रेस, बसपा और भाजपा द्वारा जमकर चुनाव प्रचार किया जा रहा है।भाजपा ने तो बूथ स्तर पर अपनी पार्टी के बड़े बड़े नेताओं को जिम्मेदारी दी है,वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी यह सीट जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है।वही कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन के पक्ष में कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तक जोर लगा रहे है,वही बसपा प्रत्याशी उबेदुर रहमान अपने दिवंगत पिता सरबत करीम अंसारी को लेकर सहानुभूति वोट पाने के साथ साथ बसपा के कैडर वोट व अपनी बिरादरी पर भरोसा कर रहे है।चुनाव कौन जीतेगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन इतना अवश्य है कि मंगलौर क्षेत्र के अधिकांश लोग अपना विधायक स्थानीय ही देखना चाहते है।लोगो का तर्क है कि यदि बाहरी व्यक्ति विधायक बन भी जाता है तो उन्हें खोजने क्या दूसरे राज्य में जाएंगे।बेहतर होता भाजपा भी किसी स्थानीय को ही चुनाव मैदान में उतरती तो तस्वीर कुछ ओर होती।
(लेखक राजीनीतिक चिंतक व वरिष्ठ पत्रकार है)

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