जेल यात्रा को कभी नहीं भूलेंगे हेमंत

डॉ.सोमनाथ आर्य

आदिवासी नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी भारतीय राजनीति की सबसे विवादास्पद घटनाओं में से एक है। इस गिरफ्तारी ने हेमंत की नए सिरे से राजनैतिक प्रगति का नया रास्ता खोल दिया है। जिसने आदिवासियों के नेतृत्व को एक निर्णायक मोड पर लाकर खड़ा कर दिया है। ईडी हेमंत को उस दिशा में लेकर चला जहां कालकोठरी उनका इंतजार कर रही थी। गोदी मीडिया ने भी ईडी का भरपूर साथ दिया, जहां से उनकी वापसी असंभव प्रतीत होने लगी। लेकिन इस जटिल स्थिति का सामना हेमंत सोरेन ने किया। कभी पहाड़ियों, नदियों जंगल और खुला आसमान इनके पूर्वजों का घर हुआ करता था ।

जहां से उन्हें लगातार खदेड़ने की कोशिश हुई। आज भी यह कोशिश जारी है। बीजेपी सरकार में जिस तरह से उद्योगपतियों के लिए जंगल काटने का फरमान जारी हुआ है वह चौंकाती है। उनके कर्ज लगातार माफ किए गए। असल में यूरेशियाई आक्रमण अभी थमा नहीं है। आज हेमंत सीएम हाउस में रहते हैं। सामंतवादी और मनुवादी मानसिकता यह कभी बर्दास्त नहीं कर सकती। वह उनकी आंखों में कांटे की तरह चुभ रहे हैं। दरअसल हेमंत सोरेन का आवास और उनका प्रभाव , उनके साथ यूरेशियाई हमले और उसके मुकाबले को पहले से ज्यादा कहीं और महत्वपूर्ण बना दिया है। इस विपत्ति की जड़ में समस्या यह है कि आदिवासी लाखों साल के दौरान कुछ दर्जन व्यक्तियों के छोटे छोटे कबीलों के रूप में विकसित हुए हैं। उन्हें राज्यों और साम्राज्यों से अलग करने की मुठ्ठी भर सहस्राब्दी की गिद्ध दृष्टिं लगातार उनपर नजर बनाए हुए है। उनकी गिरफ्तारी को लेकर ईडी ने अपने राजनैतिक आकाओं की सरपरस्ती में जो षड्यंत्र और ताना बाना बुना वह गलत साबित हुआ।असल में ईडी ने मीडिया की मदद से जो कहानी गड़ी वह मिथक मात्र था, लेकिन मिथक भी कितना शक्तिशाली होता है इसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। यह बात अब खुल कर सामने आ गई है। दरअसल , ईडी हेमंत की गिरफ्तारी के बहाने एक विस्मयकारी नेटवर्क गढ़ रही थीं । अब झारखंड में बीजेपी को भी कोई सुहावने भ्रम भी नहीं पालने चाहिए। हेमंत के पास जन सहकार तंत्र की अमोघ शक्ति है। ईडी का तंत्र यंत्र का उपयोग बीजेपी ने दमन और शोषण के रूप में किया। आने वाले समय में बीजेपी और ईडी के इस सहयोग तंत्र की कीमत उन्हें चुकानी होगी । झारखंड हाइकोर्ट ने अपनी कलम से ईडी की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया हैं। ईडी पेशेवर राजनीतिक लड़ाई का ज्यादा दिन आनंद अब नहीं उठा सकता। हेमंत ने जेल को सेल्फ कंस्ट्रक्शन के कैंप के रूप में इस्तेमाल किया। अपने बाल लंबे किए, दाढ़ियां बड़ी की । बस एक झटके में अपनी पकी दाढ़ी से खुद को प्रौढ़ साबित कर दिया..मीडिया में खबर छपी हेमंत सोरेन 7 जुलाई को शपथ लेंगे, लेकिन हेमंत ने 4 जुलाई को ही शपथ ले ली। उन्होंने बीजेपी से यह मौका भी छीन लिया की वह कुछ और तैयारी कर सके। हेमंत अब झारखंड में नई वैधानिक व्यवस्था में आधार की भूमिका में हैं। हेमंत ने जेल में किताबों और कानून का भी अध्ययन किया है। थोड़ा बहुत ही सही, लेकिन क्या यह कम है? हेमंत सोरेन इन तमाम वास्तिविक सच्चाई से अगवत हैं या हो चुके हैं। मुझे यहां अमेरिकी स्वाधीनता घोषणा पत्र की प्रसिद्ध पंक्ति याद आती है, हमे सृजनकर्ता ने कुछ खास अंतर्निहित अधिकार प्रदान किए हैं , जिसमें जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल हैं । इतिहास सबका हिसाब लेने के लिए तराजू लेकर बैठा हैं । हेमंत अपनी इस जेल यात्रा को कभी नहीं भूलेंगे।

 

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