नई दिल्ली। प्रधानमंत्री पद के लिए नामित नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार रविवार को शपथ लेंगे और वह प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाले दूसरे राजनेता होंगे। इस बीच, नई सरकार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के विभिन्न घटकों के लिए मंत्रिपरिषद में हिस्सेदारी को लेकर भाजपा नेतृत्व और सहयोगी दलों के बीच गहन विचार-विमर्श चल रहा है। सरकार ने शनिवार को घोषणा की कि बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव, और मॉरीशस सहित कई पड़ोसी देशों के नेता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे।
अमित शाह और राजनाथ सिंह के अलावा पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा जैसे वरिष्ठ भाजपा नेता सरकार में प्रतिनिधित्व को लेकर तेलुगु देशम पार्टी के एन. चंद्रबाबू नायडू, जेडी(यू) के नीतीश कुमार और शिवसेना के एकनाथ शिंदे सहित सहयोगी दलों से परामर्श कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि गृह, वित्त, रक्षा और विदेश जैसे महत्वपूर्ण विभागों के अलावा शिक्षा और संस्कृति जैसे दो मजबूत वैचारिक पहलुओं वाले मंत्रालय भाजपा के पास रहेंगे, जबकि उसके सहयोगियों को पांच से आठ कैबिनेट पद मिल सकते हैं।
पार्टी के भीतर जहां शाह और सिंह जैसे नेताओं का नये मंत्रिमंडल में शामिल होना तय माना जा रहा है, वहीं लोकसभा चुनाव जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जैसे शिवराज सिंह चौहान, बसवराज बोम्मई, मनोहर लाल खट्टर और सर्बानंद सोनोवाल सरकार में शामिल होने के प्रबल दावेदार हैं। सूत्रों ने बताया कि तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के राम मोहन नायडू, जद(यू) के ललन सिंह, संजय झा और राम नाथ ठाकुर तथा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान उन सहयोगियों में शामिल हैं जो नयी सरकार का हिस्सा हो सकते हैं।
महाराष्ट्र, जहां भाजपा-शिवसेना-राकांपा गठबंधन का प्रदर्शन खराब रहा है, और बिहार, जहां विपक्ष ने वापसी के संकेत दिए हैं, सरकार गठन की कवायद के दौरान फोकस में हो सकते हैं महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि बिहार में अगले साल चुनाव होंगे। भाजपा के संगठन में होने वाले बदलाव भी पार्टी के मंत्रियों के नामों को अंतिम रूप देते समय चयनकर्ताओं के मन में होंगे।
लोकसभा चुनावों के कारण नड्डा का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था, और संगठनात्मक अनिवार्यताएं पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण विचारणीय विषय होगा, क्योंकि चुनाव परिणामों ने संकेत दिया है कि उसकी विशाल मशीनरी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सूत्रों ने कहा कि इससे पार्टी में किसी अनुभवी व्यक्ति को भेजे जाने और नड्डा को सरकार में स्थान दिए जाने की संभावना भी बनी हुई है।
भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनावों में अपने आश्चर्यजनक रूप से खराब प्रदर्शन के बाद निरंतरता का संदेश देने और राजनीतिक कमजोरी की किसी भी धारणा को दूर करने के लिए प्रयासरत है। पार्टी को इन आम चुनावों में 240 सीटें मिलीं जो बहुमत के आंकड़े से 32 कम हैं। पार्टी को 2019 के चुनावों में 303 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।