आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में आप को बनाया जाएगा आरोपी: ईडी

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि वह दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) को आरोपी बनाएगा। धनशोधन मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने यह बात कही।

ईडी के वकील ने न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा के समक्ष कहा, ‘‘मामले में दायर की जाने वाली अगली अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र) में आप को एक सह-आरोपी बनाया जाएगा।’’ उच्च न्यायालय, ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज क्रमशः धनशोधन और भ्रष्टाचार मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर दलीलें सुन रहा था। अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

आप के राष्ट्रीय प्रमुख अरविंद केजरीवाल की एक याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है, जिसमें कहा गया है कि कोई राजनीतिक दल धनशोधन रोधी कानून के तहत नहीं आता। हाल ही में, उच्च न्यायालय ने मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए माना है कि इस मामले में धनशोधन रोधी अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 70 लागू होती है, जो कंपनियों से संबंधित है।

ईडी ने आप की तुलना एक कंपनी और केजरीवाल की तुलना उसके निदेशक से की थी। ईडी के वकील ने कहा कि मामले में आरोप तय करने की प्रक्रिया में देरी करने के लिए आरोपी व्यक्तियों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। ईडी द्वारा दी गई दलीलों को स्वीकार करते हुए सीबीआई ने भी भ्रष्टाचार मामले में आप नेता की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि देरी के लिए पूरी तरह से आरोपी व्यक्ति जिम्मेदार हैं।

सिसोदिया के वकील ने अपने मुवक्किल के लिए जमानत का अनुरोध करते हुए कहा कि ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) धनशोधन और भ्रष्टाचार मामले में लोगों को अभी भी गिरफ्तार कर रहे हैं और मुकदमे की सुनवायी जल्द पूरा होने का कोई सवाल ही नहीं है। सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने जमानत याचिका खारिज करते हुए यह नहीं बताया कि आप नेता ने देरी में कैसे योगदान दिया है।

उन्होंने कहा, “मैंने अपनी पत्नी से मिलने के लिए एक आवेदन दायर किया था। इसके बाद, मैंने एक चेक पर हस्ताक्षर करने के लिए एक आवेदन दायर किया। इससे मुकदमे में देरी कैसे होती है? मैंने कार्यवाही में देरी में कैसे योगदान दिया है? निचली अदालत ने कहा है कि 38 आवेदन में से, 13 सिसोदिया द्वारा दायर किए गए थे। लेकिन अदालत ने यह नहीं बताया कि मेरे आवेदन ने देरी में कैसे योगदान दिया।’’

उन्होंने दलील दी, ‘‘मेरी पिछली जमानत याचिका खारिज होने के बाद, तीन आरोपियों को उच्चतम न्यायालय से कुछ राहत मिली है। ईडी मामले में बिनय बाबू। ईडी मामले में फिर से संजय सिंह और हाल ही में अरविंद केजरीवाल। जहां तक मेरे भागने का सवाल है, कोई खतरा नहीं है। मैं (सिसोदिया) 14.5 महीने से हिरासत में हूं।” आरोपी व्यक्तियों के आचरण को दिखाते हुए, ईडी के वकील ने कहा कि केवल 17 गिरफ्तारियां होने के बावजूद निचली अदालत के समक्ष 250 याचिकाएं दायर की गई हैं।

उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी को लगभग हर दिन अदालत में रहना होगा। उन्होंने दलील दी कि धनशोधन के अपराध को आतंकवाद और अन्य गंभीर अपराधों के समान ही गंभीर अपराध माना गया है। ईडी के वकील ने कहा, ‘‘साजिश इसके लिए थी कि आप रिश्वत के रूप में गलत लाभ अर्जित करे और इस प्रक्रिया में रिश्वत देने वाले व्यक्तियों को अतिरिक्त लाभ सुनिश्चित हो।

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