गांवों में तेज धूप में आंखों की देखभाल जरूरी, डॉक्टर के ये उपाय आएंगे काम

गर्मी का मौसम जारी है और अगले कुछ महीने पारा और ज्यादा बढ़ने वाला है. चिलचिलाती गर्मी में न सिर्फ त्वचा का बल्कि आंखों का ख्याल रखना भी जरूरी है. गर्मी से सबसे ज्यादा बुरा हाल गांवों में रहने वालों का होता है. भरी धूप में खेतों में काम करने वाले लोगों के लिए आंखों की देखभाल बहुत जरूरी हो जाती है. खेतों में सुबह से शाम तक काम करने वाले ग्रामीणों को ज्यादा देर तेज धूप, धूल और प्रदूषण में रहने के कारण आंखों की बीमारियां होने का खतरा अधिक होता है. सूरज की तेज किरणें आंखों के टिश्यू को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे ‘फोटो केराटाइटिस (photokeratitis) और ‘टेरिजियम’ (pterygium) यानी आंख की सतह पर गांठ होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

इसी तरह, गांवों में साफ-सफाई का ठीक से ध्यान न दिए जाने, साफ पानी की कमी और खराब शौचालय व्यवस्था के कारण आंखों में इंफेक्शन का तेजी से फैलने का खतरा रहता है. उदाहरण के लिए, ‘कंजंक्टिवाइटिस’ (Conjunctivitis) या पिंक आईज जैसे रोग ऐसे वातावरण में आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं, जिससे आंखों में परेशानी और कम दिखाई देने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. साथ ही, धूल भरा वातावरण भी आंखों के लिए खतरनाक होता है, क्योंकि हवा में मौजूद धूल के कण आंखों में जाकर इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं. कुछ गांवों में आने वाली धूल भरी आंधियां स्थिति को और भी खराब कर सकती हैं, क्योंकि इनमें मौजूद घर्षण करने वाले कण आंखों में जाकर तकलीफ या चोट पहुंचा सकते हैं.

गांवों में रहने वाले लोगों के लिए आंखों की देखभाल जरूरी
गर्मियों में गांवों में रहने वाले लोगों के लिए आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है. खेती, पशुपालन जैसे अधिकतर कामों के लिए अच्छी नजर होना जरूरी है. खेत जोतना, बीज बोना और जानवरों की देखभाल करने के लिए अच्छी तरह देख पाना बहुत जरूरी है. आंखों की बीमारी से कम दिखाई देने पर न सिर्फ काम करने में दिक्कत होती है बल्कि भारी मशीन चलाते समय या नुकीले औजारों का इस्तेमाल करते समय खुद को चोट पहुंचाने का खतरा भी बढ़ जाता है.

आंखों को धूप से बचाने के आसान उपाय
इसके अलावा, गांवों में अस्पताल और डॉक्टर जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं अक्सर कम होती हैं. इसलिए सही देखभाल कर आंखों की बीमारी से बचाव ज्यादा जरूरी हो जाता है. आंखों को धूप से बचाने के लिए चौड़ी टोपी या धूप का चश्मा पहनना, धूल वाली जगहों पर काम करते समय आंखों को सुरक्षा देने वाले चश्मे लगाना और साफ-सफाई का ध्यान रखकर इंफेक्शन से बचना जैसी कुछ आसान उपाय आंखों को स्वस्थ रखने में बहुत मददगार हो सकते हैं. फिर भी, किसी भी तरह की समस्या को शुरुआत में ही पकड़ने के लिए आंखों की नियमित जांच कराना जरूरी है. ताकि इलाज जल्दी शुरू हो सके और गांव के लोग बिना किसी परेशानी के अपना काम कर सकें और अपने परिवार का ख्याल रख सकें.

आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा पहनना जरूरी
हरियाणा में, जहां फसल कटाई आम है, वहां आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा पहनना और भी जरूरी हो जाता है. किसान खेतों में कई घंटे बिताते हैं, जहां उन्हें अक्सर तेज धूप और धूल का सामना करना पड़ता है. तेज धूप और धूल मिलकर “फोटोकरेटाइटिस” और “टेरिजियम” जैसी गंभीर समस्याओं के अलावा आंखों में जलन और परेशानी पैदा कर सकती हैं.

आंखों की सुरक्षा के लिए बनाए गए चश्मे धूल, मिट्टी के कणों और हानिकारक पराबैंगनी किरणों से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम कर सकते हैं. चौड़ी टोपी और धूप का चश्मा पहनने के अलावा, किसानों को ऐसे चश्मे या सुरक्षा चश्मे लगाने पर विचार करना चाहिए जो खासकर खेतों में होने वाले खतरों से उनकी आंखों को बचाने के लिए बनाए गए हों. ये सावधानियां न सिर्फ आंखों की चोटों को रोकने में मदद करती हैं बल्कि अच्छी दृष्टि बनाए रखने में भी मदद करती हैं, जिससे किसान आराम से और सुरक्षित रूप से अपना काम कर सकें.

नियमित आंखों की जांच भी जरूरी
इसके अलावा, नियमित आंखों की जांच हर किसान की स्वास्थ्य जांच का हिस्सा होनी चाहिए. समय पर आंखों की समस्याओं का पता लगाकर और इलाज कराने से उन्हें गंभीर होने से बचाया जा सकता है. इससे किसान खेतों में अच्छी तरह देख पाएंगे और अपना काम अच्छी तरह कर सकेंगे. आंखों की देखभाल को प्राथमिकता देकर और कुछ आसान बचाव के तरीके अपनाकर हरियाणा के किसान अपनी आंखों की रोशनी और सेहत का ख्याल रख सकते हैं. इससे वे बिना किसी परेशानी के खेती का अपना अहम काम जारी रख सकते हैं.

मोतियाबिंद का ऑपरेशन है जरूरी
आंखों की सुरक्षा के उपाय करने, नियमित जांच कराने के अलावा, हरियाणा सहित ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए जरूरी है कि वे मोतियाबिंद का ऑपरेशन टालें नहीं. चिकित्सा विज्ञान में तरक्की की बदौलत मोतियाबिंद का ऑपरेशन अब सुरक्षित और कारगर तरीके से किया जा सकता है.

ऑपरेशन सही समय पर कराएं
मोतियाबिंद का ऑपरेशन टालने से जिंदगी जीने का तरीका बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. मोतियाबिंद के कारण धुंधला दिखाई देता है, कम रोशनी में देखने में परेशानी होती है और तेज रोशनी से चकाचौंध होता है. किसानों और ऐसे लोगों के लिए जिनकी रोजी-रोटी अच्छी दृष्टि पर निर्भर करती है, मोतियाबिंद का ऑपरेशन सही समय पर करवाना बहुत जरूरी है.

मोतियाबिंद का ऑपरेशन जल्दी और आसान
अच्छी खबर ये है कि आधुनिक ऑपरेशन तकनीक और नई तकनीक के लेंस की बदौलत अब मोतियाबिंद का ऑपरेशन जल्दी और आसानी से हो जाता है, जिसमें मरीज को ज्यादा तकलीफ भी नहीं होती. जल्दी ऑपरेशन कराने से आपकी आंखों की रोशनी वापस आ सकती है, आप पहले से बेहतर काम कर पाएंगे और आपका जीवन पहले जैसा हो जाएगा. इसलिए, हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए जरूरी है कि वे आंखों की देखभाल में हुए इन सुधारों का फायदा उठाएं और मोतियाबिंद का ऑपरेशन टालें नहीं, जब उसकी जरूरत हो.

 

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